श्वेता और कपिल
सच्ची प्रेम कहानी
जरूर पढ़े
कुछ दिन पहले फार्म पर एक चिड़िया और चिड़ा आये। वे हर रोज दाना चुगने आते। चिड़ा चिड़िया को देखता रहता। चिड़ा मन ही मन चिड़िया को चाहने लगा। एक दिन चिड़े ने चिड़िया को अपने दिल की बात कह दी वो चिड़िया से बोला- की तुम हर रोज लाम्बा साहब के यहाँ दाना खाने आती हो और मैं तुम्हे देखता रहता हूँ तुम मुझे अच्छी लगने लगी हो। मेरी चाहत दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। लगता हैं मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ। चिड़िया शर्मा कर बोलीं बस आगे कुछ मत कहो मेरा भी यही हाल हैं मैंने जबसे तुम्हे देखा हैं मैं भी तुम्हे चाहने लगी हूँ। जब तुम छुप छुपकर मुझे देखते हो तो मन में मोहबत मचलने लगती हैं।
उन दोनों ने अपने प्यार का आखिर इजहार कर ही दिया कुछ दिन वे दोनों मिलते और एक दूसरे से मोहब्बत करते रहे। मैं अक्सर उनको एक साथ देखता।
एक दिन चिड़े ने चिड़िया को प्यार से कहा - प्रिय हमें बहुत दिन हो गए एक दूसरे से मिलते हुए। तुम मेरी जीवन साथी बन जाओ। चिड़िया लजा गयी और सर झुककर धीरे से बोली तुम्हारी जीवनसाथी बनकर प्यार करते हुए जीवन बिताने के लिए ही तो मैं धरती पर आई हूँ लेकिन हम रहेंगे कहाँ अभी तो तुमने अपना घोसला भी नहीं बनाया हैं। आगे बरसात आने वाली हैं। तुम जल्दी से एक घोसले की जगह तलाश कर लो और बनाना शुरू कर दो। मैं भी तुम्हारी मदद करुँगी। चिड़े ने कहाँ ठीक हैं कल मिलकर घोसले के लिए जगह तय कर लेंगे।
अगले दिन जब वे मिले तो चिड़िया ने कहा हमारी मुलाकात लाम्बा साहब के आँगन में हुयी हैं यंही पर हमारा प्यार हुआ और यहाँ खाना-पानी सब कुछ हैं। क्यों न हम यही पर अपना घोसला बनाए। लाम्बा साहब के यहाँ हम पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। तो चिड़े ने तुरंत सहमति देते हुए घोसला बनाने की बात कही और कमरे के अंदर लोहे के गाटर के कोने में घोलसा बनाना शुरू कर दिया। लेकिन वो बार बार तिनका रखता और तिनका गिर जाता। इसी तरह उसको १०-१२ दिन लग गए तिनका टिक नहीं पा रहा था रखते ही फिसल जाता। चिड़े ने भी हार नहीं मानी और वो लगातार प्रयास करता रहा।
मैं कुछ दिन पहले फार्म पर गया तो उसको इसी तरह देखता रहता वो बार बार प्रयास करता रहता मैंने सोचा चिड़ा मेहनती हैं और ये अपना घोसला बना ही लेते हैं ये भी जरूर बना लगा। फिर ५-६ दिन बाद मैं दिल्ली लौट आया।
जब मैं २ जून को दुबारा फार्म पर गया तो मैंने देखा चिड़ा अभी तक घोसला नहीं बना पाया था वो अभी भी तिनके ज़माने की कोशिश कर रहा था। होसला तो बहुत था उसमे लेकिन वह उदास और मायूस लग रहा था। चिड़िया उससे कह रही थी की अगर एक दो दिन में घोसला नहीं बना तो उसके माता
पिता किसी और चिड़े के साथ उसको भेज देंगे। चिड़िया की आँखों में आंसू थे चिड़े का भी दिल घबरा रहा था। वो बार बार आसमान की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखता ओर फिर तिनका उठाकर जमाने की कोशिश करता। मेरे मन में अचानक ये ख्याल आया की लगता हैं चिड़े की चीत्कार ईश्वर तक पहुँच गयी हैं और उसने इस चिड़े और चिड़िया की मोहब्बत को परवान चढ़ाने के लिए मुझे शायद जरिया बनाकर भेज हैं। मुझे याद आया की लगभग ४ साल पहले जब मैं Girls PG चलाता था तब एक लड़की श्वेता रहती थी एक बार उसको किसी ने फूलों का गुलदस्ता लड़की के फ्रेम में दिया था। वह फ्रेम मैंने ये कहकर रख दिया था की इसको किसी पेड़ पर बांध देंगे ताकि कोई चिड़िया इसमें घोसला बना ले। वह फ्रेम मैं एक दिन फार्म पर ले गया था। वह मेरे पास रखा हुआ था।
मैंने उस फ्रेम को ऊपर कमरे की छत के पास फिर कर दिया।
अगले ही सुबह सुबह मैंने देखा की चिड़ा और चिड़िया ने उसको तिनके से भर दिया और घोसला बना लिया।
मैंने देखा दोनों बहुत खुश थे और पूरा दिन उछालते कूदते रहते और प्यार से अपने घोसले में रहने लगे।
मैंने इस चिड़िया और चिड़े का नाम श्वेता और कपिल रखा हैं।
सच्ची प्रेम कहानी
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कुछ दिन पहले फार्म पर एक चिड़िया और चिड़ा आये। वे हर रोज दाना चुगने आते। चिड़ा चिड़िया को देखता रहता। चिड़ा मन ही मन चिड़िया को चाहने लगा। एक दिन चिड़े ने चिड़िया को अपने दिल की बात कह दी वो चिड़िया से बोला- की तुम हर रोज लाम्बा साहब के यहाँ दाना खाने आती हो और मैं तुम्हे देखता रहता हूँ तुम मुझे अच्छी लगने लगी हो। मेरी चाहत दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। लगता हैं मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ। चिड़िया शर्मा कर बोलीं बस आगे कुछ मत कहो मेरा भी यही हाल हैं मैंने जबसे तुम्हे देखा हैं मैं भी तुम्हे चाहने लगी हूँ। जब तुम छुप छुपकर मुझे देखते हो तो मन में मोहबत मचलने लगती हैं।
उन दोनों ने अपने प्यार का आखिर इजहार कर ही दिया कुछ दिन वे दोनों मिलते और एक दूसरे से मोहब्बत करते रहे। मैं अक्सर उनको एक साथ देखता।
एक दिन चिड़े ने चिड़िया को प्यार से कहा - प्रिय हमें बहुत दिन हो गए एक दूसरे से मिलते हुए। तुम मेरी जीवन साथी बन जाओ। चिड़िया लजा गयी और सर झुककर धीरे से बोली तुम्हारी जीवनसाथी बनकर प्यार करते हुए जीवन बिताने के लिए ही तो मैं धरती पर आई हूँ लेकिन हम रहेंगे कहाँ अभी तो तुमने अपना घोसला भी नहीं बनाया हैं। आगे बरसात आने वाली हैं। तुम जल्दी से एक घोसले की जगह तलाश कर लो और बनाना शुरू कर दो। मैं भी तुम्हारी मदद करुँगी। चिड़े ने कहाँ ठीक हैं कल मिलकर घोसले के लिए जगह तय कर लेंगे।
अगले दिन जब वे मिले तो चिड़िया ने कहा हमारी मुलाकात लाम्बा साहब के आँगन में हुयी हैं यंही पर हमारा प्यार हुआ और यहाँ खाना-पानी सब कुछ हैं। क्यों न हम यही पर अपना घोसला बनाए। लाम्बा साहब के यहाँ हम पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। तो चिड़े ने तुरंत सहमति देते हुए घोसला बनाने की बात कही और कमरे के अंदर लोहे के गाटर के कोने में घोलसा बनाना शुरू कर दिया। लेकिन वो बार बार तिनका रखता और तिनका गिर जाता। इसी तरह उसको १०-१२ दिन लग गए तिनका टिक नहीं पा रहा था रखते ही फिसल जाता। चिड़े ने भी हार नहीं मानी और वो लगातार प्रयास करता रहा।
मैं कुछ दिन पहले फार्म पर गया तो उसको इसी तरह देखता रहता वो बार बार प्रयास करता रहता मैंने सोचा चिड़ा मेहनती हैं और ये अपना घोसला बना ही लेते हैं ये भी जरूर बना लगा। फिर ५-६ दिन बाद मैं दिल्ली लौट आया।
जब मैं २ जून को दुबारा फार्म पर गया तो मैंने देखा चिड़ा अभी तक घोसला नहीं बना पाया था वो अभी भी तिनके ज़माने की कोशिश कर रहा था। होसला तो बहुत था उसमे लेकिन वह उदास और मायूस लग रहा था। चिड़िया उससे कह रही थी की अगर एक दो दिन में घोसला नहीं बना तो उसके माता
पिता किसी और चिड़े के साथ उसको भेज देंगे। चिड़िया की आँखों में आंसू थे चिड़े का भी दिल घबरा रहा था। वो बार बार आसमान की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखता ओर फिर तिनका उठाकर जमाने की कोशिश करता। मेरे मन में अचानक ये ख्याल आया की लगता हैं चिड़े की चीत्कार ईश्वर तक पहुँच गयी हैं और उसने इस चिड़े और चिड़िया की मोहब्बत को परवान चढ़ाने के लिए मुझे शायद जरिया बनाकर भेज हैं। मुझे याद आया की लगभग ४ साल पहले जब मैं Girls PG चलाता था तब एक लड़की श्वेता रहती थी एक बार उसको किसी ने फूलों का गुलदस्ता लड़की के फ्रेम में दिया था। वह फ्रेम मैंने ये कहकर रख दिया था की इसको किसी पेड़ पर बांध देंगे ताकि कोई चिड़िया इसमें घोसला बना ले। वह फ्रेम मैं एक दिन फार्म पर ले गया था। वह मेरे पास रखा हुआ था।
मैंने उस फ्रेम को ऊपर कमरे की छत के पास फिर कर दिया।
अगले ही सुबह सुबह मैंने देखा की चिड़ा और चिड़िया ने उसको तिनके से भर दिया और घोसला बना लिया।
मैंने देखा दोनों बहुत खुश थे और पूरा दिन उछालते कूदते रहते और प्यार से अपने घोसले में रहने लगे।
मैंने इस चिड़िया और चिड़े का नाम श्वेता और कपिल रखा हैं।