ORGANIC MANURE FROM KITCHEN WASTE
रसोई घर से निकले सब्जियों के पत्तें / छिलके / चाय पत्ती/ सूखी रोटी / आटा / बेसन आदि से घर में ही बनाये बेहतर जैविक खाद।
पर्यावरण क्षेत्र से जुड़ी एक संस्था के सर्वे के अनुसार दिल्ली और अन्य भारतीय आम शहरी औसत परिवार की रसोई से 800 ग्राम से 1 किलो 50 ग्राम हरा कचरा फल एवं सब्जियों के छिलके, चाय पत्ती और बचे हुए सूखे आटे के रूप में निकलता है। यह अन्य कचरे के साथ मिलकर कूड़ाघर में जाता है या अन्य जगह फेंक दिया जाता है जो बेकार है और बदबू का भी कारण बनता है।
इस खुले में फेंके गए हरे कचरे पर गाय व अन्य पशु आकर्षित होते है। सड़ने पर यह कचरा जहरीला हो जाता है और अक्सर पॉलिथीन में कचरा डेल जाने से पशु कचरे को पॉलिथीन समेत निगल जाते है जिससे उनमे कई तरह की संक्रमक बीमारिया हो जाती है और पशु मर जाते है। शहरो में सबसे ज्यादा गाय इससे प्रभावित हो रही है।
अगर शहरी लोगो में थोड़ी सी जागरूकता आ जाये तो केवल दो से पांच मिनट्स दिन में अतिरिक्त देकर न केवल इन गायों को बचा सकते है साथ ही घर पर ही बेहद उम्दा किस्म की 5-6 जैविक खाद भी हर महीने बना सकते हैं। जो हमारे किचन गार्डन के लिए या अन्य पेड़ पौधों के लिए काफी उपयोगी होती हैं।
बाजार में उपलब्ध जैविक खाद काफी महंगी होती है। घरों में आने वाले माली 20 रू की 50 ग्राम खाद देते हैं। इसप्रकार खाद 400 रू किलो पड़ती हैं।
घर में रसोई से निकलने वाले हरे कचरे से हम 5-6 खाद प्रति महीने आसानी से बना सकते है।
खाद बनाने की विधि :-
1- एक माध्यम आकार और क्षमता का मिटटी का ढक्कन सहित घड़ा ले और उसको छाया में रख ले।
4- कटे हुए छिलकों को मटके में भर दें।
5- जब भी पत्तें डाले डंडे से अच्छी तरह मिला दे। बाद में मटके को छाया में ढककर रख दे। हफ्ते में एक बार मिश्रण को आपस में मिलाते रहे।
6- इसप्रकार से उम्दा किस्म की जैविक खाद 25-30 दिनों में तैयार हो जाती हैं।
खाद की और ज्यादा गुणवत्ता बढ़ाने व जल्द तैयार करने के लिए निम्न तरीका अपनाया जा सकता हैं।
1- सबसे पहले पत्तों / छिलकों को बारीक़ कर लें।
2- इसके बाद इसमें पुरानी गोबर या अन्य सड़ी हुयी थोड़ी खाद मिला दे। यह खाद पत्तों को जल्द गलाने में सहायक बनती हैं। जैसे दही ज़माने के लिए जामन की आवस्यकता होती हैं उसी प्रकार नयी खाद बनाने के लिए उसमे थोड़ी पुरानी खाद डालनी चाहिए।
3- इसमें हम थोड़ा बेसन या अन्य बचा हुआ सूखा आटा भी मिला सकते हैं इससे खाद भी जल्द गलेगी और पौष्टिकता भी बढ़ेगी।
4- इस पुरे मिश्रण को अच्छी तरह मिला ले।
5- सारे मिश्रण को मटके में भर दे।
5- खाद की गुणवत्ता के साथ - साथ उसमें पौधे के लिए रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व कीटनाशक क्षमता भी पैदा करने के लिए नीम, धतूरे व आक या अमरुद के पत्तो को मिक्सी में पीसकर या कूटकर चटनी बना ले। अगर सभी उपलबध न हो सके तो इनमे से जो मिल जाये उसी को कूट पीस ले। इस चटनी की थोड़ी मात्रा मटके में डाल दे। धयान रखे की चटनी में पानी ज्यादा न हो।
6- मिश्रण में पुराने अख़बार को बारीक़ टुकड़े करके डाल दे। अख़बार जल्द गलते है साथ ही मिश्रण के फालतू पानी को भी सोख लेते हैं। बाद में भी अगर आपको लगे की पानी ज्यादा है तो अख़बार के टुकड़े इसमें डाल दे।
7- देशी गाय के गोमूत्र में 36 प्रकार के गुण पाये जाते हैं जिनमे जीवाणु, कीटनाशक व खाद की पौष्टिकता आदि बढ़ाने के गुण होते हैं। अगर देशी गाय का मूत्र मिल जाये तो थोड़ा इस मिश्रण में मिला दे।
8- सब मिलाने के बाद मटके को ढक्कर छाया में रख दे। हफ्ते में एक बार डंडे से मिलते रहे। अगर गीलापन ज्यादा लगे तो अख़बार के टुकड़े डाल दे और एक दो दिन मटके को खुला छोड़ दे।
9- इसप्रकार 25-30 दिनों में बेहद उम्दा, पौष्टिक, कीटनाशक सहित जैविक खाद बनकर तैयार हो जाती हैं।
ये बिलकुल आसान तरीका है जैविक खाद बनाने का। यह खाद सब्जियों, फूलों व घरेलु पौधों के लिए बहुत लाभकारी है साथ ही बड़े पैमाने पर इसको तैयार करके खेती के इस्तेमाल में भी लाया जा सकता है। लेखक नरेश लाम्बा दुवारा हर महीने 30-35 मटको में खाद बनायीं जा रही है। जिसका उपयोग खेती में सफलता पूर्वक किया जा रहा है।
इस खाद में नाइट्रोजन, कार्बन व ऑक्सीजन सहित वे सारे तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं जो किसी भी पौधे की
सम्पूर्ण आवश्यकता को पूरी करते है। जमीन में इस खाद के डालने से कुछ ही दिनों में करोडो जीवाणु जमीन में पैदा हो जाते है जो प्राकृतिक खाद के निर्माण के साथ - साथ जमीन में पौधों के लिए हानिकारक कीड़ो को भी नस्ट कर देते हैं। ये जीवाणु पौधों की जड़ो तक ऑक्सीजन पहुचने का भी माध्यम बनते हैं।
Naresh Lamba
President
Social Development Welfare Society (Regd.NGO)
Contact: 9891550792
lamba2512@gmail.com