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Friday, May 30, 2014

नीम हक़ीम झोला छापों के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम

Prevention of Anti-Quackery in Community
नीम हक़ीम झोला छापों के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम
कार्यक्रम का उद्देश्य :-
नीम हकीम एवं झोलाछाप  डॅाक्टरों के खिलाफ समाज में जागरुकता फैलाना।
क्वालिफाइड एवं अनक्वालिफाइड डाॅक्टरों के इलाज में अंतर के बारे में बताना।
समाज में सक्रिय विभिन्न प्रकार के झोलाछापों के बारे में बताना।
झोलाछापों से इलाज न करवाने तथा हमेशा पंजीकृत चिकित्सक, सरकारी डिस्पेंसरी या बडे़ अस्पतालों में ही इलाज करवाने के लिए लोगों को प्रेरित करना।
कार्यक्रम प्रस्तावना:-
संस्था द्वारा पाँच चरणों में समाज में नीम-हकीम एवं झोलाछापों के खिलाफ जागरुकता अभियान कम्यूनिटी मीटिंग (जन संपर्क), मुनादी (सार्वजनिक घोषणा), नुक्कड़ नाटक, सार्वजनिक मंचन द्वारा शिक्षा देना, जागरुकता कैंप (प्रशिक्षित एवं विषय संबंधी योग्य व्यक्ति द्वारा लोगों को जानकारी देना व कार्यक्रम और समस्या पर लोगों के विचार लेना), जागरुकता सामग्री वितरण (कार्यक्रम संबंधी जागरुकता एवं शिक्षाप्रद सामग्री वितरित करना) पद्धतियाँ अपनाई गई।
क्षेत्र का सर्वे करने व कार्नर मीटिंग में लोगों के साथ हुए विचार विमर्श के बाद कार्यक्रम स्थल का चुनाव किया गया। सर्वे में सबसे पहले उन स्थानों को चिन्हित किया गया जहाँ कार्यक्रम के मुख्य लक्षित समूह
तथा झोलाछाप सक्रिय हैं।
इन क्षेत्रों में सक्रिय झोलाछापों की चिकित्सा पद्धतियों की पहचान कर लोगों को शिक्षित करने के लिए संस्था द्वारा प्रवक्ताओं का चयन भी काफी गहन विचार-विमर्श के बाद किया गया। अलग-अलग विषयों पर प्रशिक्षित व्यक्तियों जिसमें क्वालिफाइड डाॅक्टर, एडवोकेट, टीचर, और जादू-टोना द्वारा चिकित्सा संबंधी  भ्रांतियों को दूर करने के लिए देश के मशहूर तुलसी जादूगर को कार्यक्रमों के दौरान प्रवक्ता बनाया गया।
लक्षित समूह:-
जागरुकता कैंप के लिए विशेषतौर पर समाज के उस वर्ग को लक्षित किया गया जिनकी झोलाछाप के चंगुल में फँसने की संभावना अधिक रहती हैं या जो झोलाछापों से इलाज कराते हैं।
अन्य उद्देश्य:-
जागरुकता के अलावा झोलाछापों की बढती सक्रियता एवम् संख्या के कारण तथा इनसे बचाव और समाज में इनकी रोकथाम कैसे की जाए यह पता लगाना भी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रखा गया। 
संस्था का मानना है कि किसी भी बुराई को केवल शिक्षा और जागरुकता के द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है। संस्था द्वारा चार विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रमों में इस अभियान के उद्देश्य को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए संस्था ने क्षेत्रिय आरडब्लूए व क्षेत्रीय संगठनो का भरपूर सहयोग लिया। कार्यक्रम के उद्देश्य को विस्तार से प्रचार करने के लिए स्थानीय हिन्दी समाचार पत्र स्ट्रीट रिपोर्टर का सहयोग लिया गया। जिससे विभिन्न माध्यमों द्वारा संस्था एवं दिल्ली हेल्थ सर्विसिज के इस प्रयास के लिए लोगों की काफी सराहना प्राप्त हुई।
कार्यक्रम विवरण:-
नीम हकीम एवं झोलाछाप के खिलाफ जागरुकता अभियान।
दिनाँक - 22 फरवरी 2014
स्थान - बाल्मीकि विहार, पालम 
कुुल आबादी - लगभग 5000
कार्यक्रम गतिविधियाँ: -
सर्वेक्षण (survey) ,17-18 फरवरी 2014
-क्षेत्र बाल्मीकि विहार व आसपास की बस्तियाँ, मंगलापुरी
-सर्वेक्षक - रेखा शर्मा, अरुण डबास

सर्वेक्षण के मुख्य बिन्दु -
-लोगों से बातचीत करके पता लगाना कि वे लोग इलाज कहाँ कराते हैं।
-क्षेत्र के लोगों को होने वाली बीमारियाँ।
-कार्यक्रम के बारे में लोगों को बताना।
-कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लोगों को प्रेरित करना तथा लक्षित समूह की पहचान करना। 
कम्यूनिटी मीटिंग - 19-20 फरवरी 2014
19 फरवरी 2014
स्थान -बाल्मीकि विहार, मुख्य चौक, पालम
प्रमुख व्यक्ति -मास्टर अत्तर सिंह (जनरल सेक्रेटरी, बाबा अम्बेडकर समाज कल्याण समिति)
युगल किशोर दिवेदी (चेयरमैन, फैडरल वैलफेयर एसोसिएशन)
राम सिंह कीर ( अध्यक्ष बाल्मीकि समाज समिति)
डाॅ ए के मिश्रा ( टीबी, कुष्ठ  रोग नियंत्रण प्रोग्राम,  डेमियन फाउंडेषन )
व अन्य 30-35 व्यक्ति।
कम्यूनिटी मीटिंग 20 फरवरी 2014
स्थान -महावीर एनक्लेव
प्रमुख व्यक्ति-युगल किशोर दिवेदी (चेयरमैन फैडरल वैलेफयर एसोसिएशन )
सतप्रकाश स्वामी ( अध्यक्ष डी ब्लाॅक, आरडब्लूए महावीर एनक्लेव )
लक्ष्मी पांडे ( महिला विकास समिति महावीर एनक्लेव)
मास्टर हरिओम गुप्ता व अन्य 20-25 व्यक्ति
मीटिंग की मुख्य बातें जिन पर चर्चा की गई:-
-कार्यक्रम के उद्देश्य के विषय में बताया गया।
-ज्यादा से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम में बुलाया जाए।
-कार्यक्रम आयोजन स्थल पर चर्चा की गई।
-बाल्मीकि विहार और महावीर एनक्लेव में अलग अलग दिन क्षेत्र के प्रमुख लोगों के साथ मीटिंग रखी गई जिसमें कार्यक्रम के आयोजन संबंधी बातों पर विचार विमर्श किया गया।
मुनादी एवं जागरुकता प्रचार सामग्री वितरण 21.03.2014
बाल्मीकि विहार व आसपास की कालोनियों तथा मंगलापुरी और महावीर एनक्लेव के कुछ भाग में लाउडस्पीकर द्वारा मुनादी कराई गई व प्रचार सामग्री वितरित कराई गई। मुनादी द्वारा लोगों को भारत में पोलियों उन्मूलन की सफलता  व कार्यक्रम स्थल और लोगों को ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कहा गया।
नुक्कड़ नाटक
जागरुकता कार्यक्रम स्थल के आस-पास लोगों को एकत्र करने के लिए कार्यक्रम से पहले और कार्यक्रम के दौरान लोगों को झोलाछापों के इलाज से किस प्रकार दिक्कतें आ सकती है। नुक्कड़ नाटक टीम द्वारा सफलतापूर्वक मंचन करके लोगों को जागरुक किया जिसको काफी सराहना मिली।
जागरुकता कार्यक्रम:-
22 फरवरी 2014
कार्यक्रम संक्षेप -
नीम हकीम व झोलाछापों के खिलाफ जागरुकता अभियान के तहत बाल्मीकि विहार पालम के मुख्य चैराहे पर जागरुकता कैंप का आयोजन किया गया। कैंप में लगभग 150 महिलाओं व पुरुषों ने भाग लिया। संस्था के मुख्य प्रवक्ताओं द्वारा लोगों को झोलाछाप डाॅक्टरों से इलाज न करवाने के लिए कहा गया। लोगों को हमेशा सरकार द्वारा पंजीकृत डाॅक्टर, सरकारी डिसपेंसरी, या बडे अस्पताल में ही इलाज करवाने के लिए प्रेरित किया गया। नुक्कड़ नाटक के मंचन द्वारा लोगों को बताया गया कि झोला छाप डाॅक्टर से किस किस प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं। जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा लोगों को दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में बताया गया। उन्होनें लोगों को सरकारी डिसपेंसरियों में इलाज के लिए पेश आ रही समस्याओं पर भी चर्चा की तथा उन समस्याओं का तत्काल समाधान करने का आश्वासन भी दिया।
प्रवक्ताओं द्वारा लोगों को झोला छाप व क्वालिफाइड डाॅक्टर के इलाज में अंतर तथा उनकी पहचान करने के तरीके के बारे में बताया गया।
कुल भागीदार - 150-200
मुख्य प्रवक्ता एवं उनके सम्बोधन का सार
-डाॅ कुलदीप राज
-डाॅ ए के मिश्रा
-एडवोकेट राजेश लाम्बा
-मास्टर हरिओम गुप्ता
-एडिशनल एसएचओ, पुलिस स्टेशन सागरपुर सरकारी अधिकारी
-डाॅ राकेश जिलानी ( एडिशनल सीडीएमओ जिला दक्षिणी पश्चिम )
-डाॅ रमेश चन्द ( सीडीएमओ आॅफिस )
डाॅ कुलदीप राज ( चिकित्सा अधिकारी राजकीय स्वास्थ्य केन्द्र गाजियाबाद )
डाॅ कुलदीप राज जी ने अपने सम्बोधन में मुख्य रुप से इलाज करवाने संबंधी जानकारियाँ व सावधानियों
पर लोगों का बताया। जिनमें:-
-झोलाछाप की पहचान करना
-क्वालिफाइड और अनक्वालिफाइड डाॅक्टर के इलाज में अंतर
-बिना पर्चे के दवाइयाँ न लें
-विज्ञापन आधारित दवाओं से दूर रहें
-दवाओं के साइड इफैक्ट को जानें
-मुख्य रुप से प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों की जानकारियाँ इत्यादि जानकारियाँ देते हुए लोगों को झोलाछाप डाॅक्टरों से किसी भी स्थिति में इलाज न करवाने की अपील की।
डाॅ ए के मिश्रा ( टीबी एवं कुष्ठ रोग नियंत्रण प्रोग्राम, डेमियन फाउंडेषन )
सर्वेक्षण के दौरान बाल्मीकि विहार व इसके आस-पास की छोटी बस्तियों में सफाई व्यवस्था बेहद बदहाल पाई गई। कम्यूनीटि मीटिंग के दौरान लोगों से बातचीत के समय डाॅ0 मिश्रा ने बताया की जिस तरह के वातावरण में वे लोग रह रहे है ऐसे माहौल में टीबी के लक्षण काफी अधिक पाए जाते है। खांसी, बलगम आना जैसी बीमारियाँ ऐसे माहौल में रहने वालों को अकसर पाई जाती है और सही इलाज न मिलने के कारण इनको टीबी होने की संभावना अधिक रहती है। अनक्वालिफाइड डाक्टर्स इनकी पहचान नहीं कर पाते जिसके बाद में गम्भीर परिणाम सामने आते है। उनकी इस सलाह के महत्व को देखते हुए डाॅ मिश्रा जी को विशेषतौर पर पूरे अभियान में प्रवक्ता के तौर निंमत्रण दिया गया जिसको उन्होनें स्वीकार करते हुए पूरे अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डाॅ0 मिश्रा जी ने लोगों को टीबी के लक्षण, बचाव व इलाज के बारे में विस्तार से जानकारियाँ दी और बताया कि किस प्रकार से छोटी-छोटी बिमारियाँ लापरवाही और गलत इलाज के कारण गंभीर रुप धारण कर लेती है।
एडवोकेट राजेश लाम्बा
राजेश लाम्बा जी ने बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा झोलाछाप के इलाज से हुई मौत के मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया गया है कि सभी चिकित्सकों को अपने क्लीनिक के बाहर चिकित्सा पद्वति के अनुसार सम्बंधित विभाग द्वारा जारी की गयी पंजीकरण संख्या लिखिनी अनिवार्य है। इसके बाद कोई भी व्यक्ति आसानी से झोलाछापों की पहचान कर सकता है। उन्होने झोलाछापों द्वारा गैर कानूनी रुप से किए जा रहे इलाज सम्बंधी कानूनी जानकारियाँ दी।
मास्टर हरिओम गुप्ता (रिटायर्ड लेक्चरार, शिक्षा विभाग दिल्ली सरकार)
मास्टर हरिओम गुप्ता जी ने झोलाछापों पर लगाम लगाने के लिए सरकारी तौर पर कड़े कानून और नियम बनाने की बात कही। उन्होने झोलाछापों को समाज में एक गंभीर समस्या बताया। उन्होने प्रशिक्षित वैद्य व आर्युवैदिक इलाज और सड़कों पर बैठे हुए नीम हकीमों और शाही दवाखाने, षफाखाने के इलाज के अंतर के बारे में बताते हुए लोगो को झोलाछापों से बचने की सलाह दी।
इंस्पेक्टर सूबे राव (अतिरिक्त एसएचओ, पुलिस थाना सागर पुर)
इंस्पेक्टर सूबे राव ने झोलाछापों के इलाज से हुई दुर्घटना के बाद परिवार को होने वाली परेशानियों के बारे में बताया। उन्होनें कहा कि दिल्ली पुलिस को झोलाछापों के सम्बंध में मिले आदेश के बाद पुलिस भी अपने स्तर पर इनकी पहचान के लिए प्रयास कर रही है। लेकिन इसमें लोगों की भागीदारी आवशयक है। अपने परिवार और अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए आपको भी सजग रहना होना। अगर आपको किसी झोलाछाप की खबर लगती है तो दिल्ली पुलिस के कंट्रोल न0 100 पर इसकी सूचना दें या थाने में हमसे संपर्क करें। उन्होने संस्था और दिल्ली हैल्थ सर्विस द्वारा आयोजित कार्यक्रम की काफी सराहना करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम से लोगों में जागरुकता आएगी और हमें भी लोगों का सहयोग लेने में आसानी रहेगी।
डाॅ0 राकेश जिलानी (अतिरिक्त मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी)
डाॅ0 जिलानी ने दिल्ली हैल्थ सर्विसिज की एंटी क्वैकरी सैल व संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे झोलाछापों के खिलाफ अभियान और झोलाछापों के खिलाफ की जा रही कार्यवाही के बारे में लोगों को बताया। उन्होनें लोगों को बताया कि किस प्रकार से झोलाछाप और गैर पंजीकृत चिकित्सक समाज के लिए गंभीर समस्या बनते हैं। उनके इलाज से न केवल लेागों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहे है बल्कि उनके द्वारा किए गए गलत और अधूरे इलाज से बढ़ते खर्चो से लोगों का आर्थिक शोषण भी हो रहा है। आप सोचते है कि इलाज सस्ता हुआ है लेकिन बाद में स्वास्थ्य पर पड़े गलत प्रभाव से जब बीमारी बढ़ जाती है तो उसके इजाल में हजारों रुपए खर्च होते हैं। उन्होनें कहा कि झोलाछापो का पता चलते ही दिल्ली पुलिस, संस्था या जिला स्वास्थ्य अधिकारी या दिल्ली हैल्थ सर्विस को तुरंत सूचित करें। इस समस्या पर जनभागीदारी से ही काबू पाया जा सकता है। 
उन्होनें सरकारी डिस्पेंसरी में इलाज के लिए लोगों को आ रही दिक्कतों पर काफी विस्तार से चर्चा की तथा लोगों द्वारा बताई गई समस्याओं का उचित हल करने का आश्वासन भी दिया।
डाॅ रमेश चन्द ( चिकित्सा अधिकारी दिल्ली हेल्थ सर्विसिज )
डाॅ रमेश चन्द जी ने लोगों को संदेश दिया कि अपने परिवार के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न करे ,इलाज हमेशा क्वालिफाइड डाॅक्टर, सरकारी डिस्पेंसरी या बडे़ अस्पताल में ही कराएं। उन्होनें लोगों को झोलाछाप डाॅक्टरों से इलाज न करवाने की शपथ भी दिलवाई।
कार्यक्रम उद्घाटन सम्बोधन ( नरेश लाम्बा अध्यक्ष )
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए संस्था अध्यक्ष नरेश लाम्बा जी ने दिल्ली हेल्थ सर्विसिज दिल्ली सरकार के अनुदान से संस्था द्वारा चलाए जा रहे नीम हकीम एवं झोलाछाप के खिलाफ जागरुकता अभियान के बारे में विस्तार से बताया तथा ये झोलाछाप किस प्रकार से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रहे हैं और कैसे इनके इलाज से लोगों का आर्थिक शोषण हो रहा है विषय पर चर्चा की। संस्था अध्यक्ष ने लोगों को किसी भी स्थिति में झोलाछापों से इलाज न करवाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न करें, इलाज हमेंशा क्वालिफाइड डाक्टर, सरकारी डिस्पेंसरी या बड़े अस्पताल में ही कराए।
कार्यक्रम प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया 
कार्यक्रम के दौरान भागीदारों से कार्यक्रम के बारे में प्रतिक्रियाएँ ली गई। कार्यक्रम के आयोजन को काफी सराहना मिली। झोलाछापों के खिलाफ सरकारी स्तर पर विशेष कार्यवाही न होने और सरकारी डिस्पेंसरियों में पूरी सुविधाएँ न होना भी लोगों ने एक मुख्य समस्या बताया। लोगो से ली गई प्रतिक्रियाओं का सार इस प्रकार है-
-कार्यक्रम के आयोजन से आपको/समाज को क्या संदेश मिला?
प्रतिक्रिया-लोगों ने कार्यक्रम के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि कार्यक्रम काफी शिक्षाप्रद रहा है हमारा प्रयास रहेगा कि झोलाछापों से इलाज न कराएं।
-क्या इस क्षेत्र/अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन/विस्तार करना चाहिए और क्यों?
प्रतिक्रिया- लोगों ने बताया कि उनकी कालोनी में पहली बार इस प्रकार के जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस प्रकार के कार्यक्रम होते रहने चाहिए। इस कार्यक्रम से उनको काफी जानकारी प्राप्त हुई है। कई लोगो को तो झोलाछाप डाॅक्टर का अर्थ भी नहीं पता था। उन्होनें बताया कि इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर होते रहने चाहिए इनसे काफी जागरुकता आती है।
-कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण भाग कौन सा रहा?
प्रतिक्रिया- इस पर लोगों की अलग-अलग राय मिली। जिसमें सबसे अधिक अतिरिक्त जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा लोगों से सरकारी डिस्पेंसरी में इलाज के लिए जाने पर पेश आ रही समस्याओं पर चर्चा करने को सबसे ज्यादा सराहा। डाॅ0 कुलदीप राज द्वारा क्वालिफाइड व अनक्वालिफाइड डाॅक्टर के इलाज के अंतर और डाॅ0 एके मिश्रा द्वारा दी गई जानकारी कि किस प्रकार से छोटी-छोटी बीमारियाँ गलत इलाज के कारण गंभीर रुप धारण कर लेती है, को लोगो ने बहुत महत्वपूर्ण बताया। साथ ही नुक्कड़ नाटक के कलाकारों द्वारा की गई प्रस्तुति को लोगों ने जागरुकता के लिए काफी बेहतर बताया।
-कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर आप क्या कदम उठाऐंगें?
प्रतिक्रिया- कार्यक्रम भागीदारों ने कहा कि वे हर सम्भव प्रयास करेंगें कि झोलाछापों के पास इलाज के लिए न जाएंगें और न ही छोटी-छोटी बीमारियों की अनदेखी करेंगें। 
-क्या कार्यक्रम के आयोजन में कोई कमी रही?
प्रतिक्रिया- ज्यादातर लोगों ने कार्यक्रम की सराहना की। कुछ भागीदारों ने कहा कि कार्यक्रम में क्षेत्र के क्वालिफाइड डाक्टरों को भी आमंत्रित करना चाहिए था। ताकी लोगों को क्षेत्र के क्वालिफाइड डाॅक्टर्स का पता चल सकें। संस्था अध्यक्ष ने लोगों को बताया कि संस्था द्वारा लगभग 15 डाॅक्टर्स से संपर्क किया गया था। लेकिन सभी ने समय न होने की बात कहकर कार्यक्रम में आने से मना कर दिया। कुछ ने कार्यक्रम में रुची ही नहीं दिखाई। क्षेत्र के एक डाॅक्टर जिसकी अपनी लैब भी है जहाँ कई प्रकार की जाँच की जाती है, के बारे बताते हुए संस्था अध्यक्ष ने बताया कि एक डाॅक्टर ने कहा कि अगर झोलाछाप नहीं होंगें तो उनकी दुकानदारी कैसे चलेगी। अध्यक्ष जी ने उसकी प्रतिक्रिया पर अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि इस तरह की सोच रखने वाले चिकित्सक ही समाज की असली समस्या है जिन्होनें चिकित्सा के पेशे को व्यवसाय बना रखा है।
-क्या आप संस्था/संबंधित विभाग को कोई संदेश देना चाहते है?
प्रतिक्रिया- लोगों ने कहा कि इसप्रकार के कार्यक्रमों का ज्यादा से ज्यादा विस्तार करना चाहिए और क्षेत्र की सरकारी डिस्पेंसरियों के डाॅक्टर्स व प्राइवेट डाॅक्टर्स को समय-समय पर ऐसे कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जानकारियाँ देनी चाहिए। सरकारी डिस्पेंसरियों में केवल साधारण बीमारियों के इलाज की ही सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा महिला एवं बाल चिकित्सक जैसे विशेषज्ञों की भी सप्ताह में एक दो बार सेवाएं सरकारी डिस्पेंसरियों में होनी चाहिए। डिस्पेंसरियों का समय दोपहर दो बजे तक का ही होता है। लेकिन ज्यादातर लोग इलाज के लिए शाम के समय डाॅक्टर्स के पास जाते है इनका समय शाम 7 बजे तक होना चाहिए।
-झोलाछापों की समाज में बढ़ती सक्रियता एवं संख्या के मुख्य कारण क्या है?
प्रतिक्रिया-
-सरकारी डिसपेंसरियों की कमी।
-इनमें इलाज के लिए जाने पर होने वाली दिक्कतें।
-इनका समय केवल दोपहर तक ही होना। जबकी अधिकांश लोग शाम को काम से लौटने पर ही इलाज के लिए जाते है।
-क्वालिफाइड डाॅक्टर्स की फीस बहुत महंगी होना।
-छोटी कालोनियों में क्वालिफाइड डाॅक्टर्स की कमी।
-झोलाछापों पर सरकारी स्तर पर कड़ी कार्यवाही न होना।
-झोलाछापों द्वारा लोगों के साथ बेहतर तालमेल बना लेना।
-झोलाछापों की सेवाएं घर के नजदीक और सस्ती होना।
-बड़े प्राइवेट अस्पतालों द्वारा छोटी-छोटी बीमारियों के लिए महंगे टैस्ट करवाना और फीस ज्यादा होना।
-लोगों में जागरुकता का अभाव।
-झोलाछापों पर किस तरह से रोक लगाई जा सकती हैं ?
प्रतिक्रिया
-सरकारी डिस्पेंसरियों की संख्या बढ़ाकर।
-सरकारी डिस्पेसरियों का समय बढ़ाकर।
-सरकारी डिस्पेंसरियों में चिकित्सा सेवाओं का विस्तार करके।
-बड़े प्राइवेट अस्पतालों की फीस और बेफिजूल के टैस्टों पर सरकारी लगाम लगाकर। कमजोर वर्ग के लोगों को इलाज में रियायत देने के लिए प्रेरित करके।
-झोलाछापों पर पूरी तरह से कड़ाई से सरकारी प्रतिबंध लगाकर।
-क्वालिफाइड डाॅक्टर्स को छोटी कालोनियों में अपनी सेवाएं देने के लिए प्रेरित करके।
-जागरुकता और शिक्षाप्रद कार्यक्रमों का विस्तार करके।
कार्यक्रम का समग्र निष्कर्ष
संस्था द्वारा कार्यक्रम आयोजन के लिए चुना गया क्षेत्र जिसमें वाल्मीकि विहार, पालम, मंगलापुरी, आस-पास की छोटी बस्तियाँ जिनमें अधिकांष निम्न मध्यम वर्ग और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के परिवार निवास करते है, जागरुकता कार्यक्रमों के आयोजन के लिए ऐसे क्षेत्र काफी जटिल होते है। परिवार के स्त्री-पुरुष दोनो कामकाजी होने और इनका शिक्षा का निम्न स्तर, समय का अभाव, सामाजिक कार्यो तथा कार्यक्रमों में रुचि न होना आदि कारणों से कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए संस्था को काफी मेहनत करनी पड़ी।
संस्था के सर्वे और फील्ड वर्कर्स की रिपोर्ट के अनुसार वाल्मीकि विहार व इसके आस-पास 4-5 छोटी बस्तियाँ है। बिमार होने के दौरान ये लोग अपने आस-पास सक्रिय झोला छापों के पास इलाज के लिए जाते है या सरकारी डिस्पेंसरी में इलाज करवाते। सरकारी डिस्पेंसरी में जाने पर काफी समय खर्च होता है और परिवार के अन्य व्यक्ति को काम से अवकाश लेना पड़ता है क्योंकि सरकारी डिस्पेंसरी का समय दोपहर 2 बजे तक ही होता है। केवल शाम के समय ही इलाज के लिए जाने के कारण ये लोग आस-पास ही इलाज करवाने के लिए बाध्य है। इस क्षेत्र में काफी बड़े-बड़े प्राईवेट अस्पताल व नर्सिंग होम खुले हुए है लेकिन उनमें इलाज मंहगा होने के कारण ये लोग उनकी फीस देने में असमर्थ है।
फील्ड वर्कर्स की मेहनत, क्म्यूनिटी मीटिंग्स व संस्था के जनसम्पर्क के कारण कार्यक्रम के आयोजन को काफी प्रचार मिला। लगभग 250 लोगो ने कार्यक्रम में भाग लिया तथा लगभग 10,000 लोगों तक संस्था कार्यक्रम का संदेश पहुँचाने में सफल रही। कार्यक्रम के आयोजन को लोगों ने काफी सराहा तथा इस विषय पर जागरुकता के लिए अन्य कार्यक्रम और झोलाछापों पर कठोर कार्यवाही के लिए भी लोगों ने कहा। 
ज्यादातर लोगों ने झोला छापों के पास जाने की बात स्वीकारी और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव और प्राईवेट चिकित्सकों की महंगी फीस के कारण इनके पास जाने की मजबूरी भी बताई। महिलाओं के अनुसार सरकारी डिस्पेंसरियों में महिला व बाल विशेषज्ञ का न होना और सरकारी अस्पताल दूर होने, उनमें भीड़ होने के कारण इलाज में पेश आ रही दिक्कतों को विशेष तौर पर बताया।
कार्यक्रम में अतिरिक्त जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी का उपस्थित रहना और लोगों से बातचीत करना काफी उत्साहवर्द्धक रहा। इसमें लोगों ने काफी रुचि दिखाई।
संस्था के सुझाव
कार्यक्रम में प्राप्त हुई लोगों की प्रतिक्रिया व संस्था के अनुभव से इस क्षेत्र में झोला छापों पर अंकुश लगाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने आवशयक है-
दिल्ली हैल्थ सर्विस, दिल्ली सरकार के लिए
-सरकारी डिस्पेंसरियों में महिला एवं बाल चिकित्सकों की नियुक्ति
-सरकारी डिस्पेंसरियों का समय षाम 7.00 बजे तक किया जाए
-मोबाईल चिकित्सा वैन की संख्या बढ़ाई जाए
-क्षेत्र के सरकारी अस्पताल द्वारा समय-समय पर क्षेत्र में हैल्थ कैंप लगाए जाए
-जिला चिकित्सा अधिकारियों द्वारा जनसम्पर्क बढ़ाया जाए
-जागरुकता कार्यक्रमों को लगातार चला कर इनका विस्तार किया जाए
-क्षेत्र में सेवाएं दे रहे प्राईवेट अस्पतालों व चिकित्सकों को कमजोर वर्ग से कम शुल्क लेने के लिए या निशुल्क चिकित्सा सलाह देने के लिए प्रेरित करके
-सभी पद्वतियों के झोलाछापों को एक ही विभाग के अंर्तगत लाकर कार्यवाही करे
-झोलाछापों के खिलाफ कड़े नियम बनाए जाए
-सभी क्लीनिकों के बाहर पंजीकरण नम्बर लिखने की अनिवार्यता को कड़ाई से लागू किया जाए
झोलाछापों के खिलाफ सक्रिय संस्थाओं के लिए
-झोलाछाप के खिलाफ अन्य संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे अभियानों में सक्रिय रुप से भाग ले
-अपने कार्य क्षेत्र में लोगो को विशेष तौर पर क्षेत्रिय आरडब्ल्यूए व अन्य सामाजिक संगठनों के साथ तालमेल करके उनको सम्पर्क नम्बर इत्यादि उपलब्ध कराए।
-समय-समय पर जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन करें
-अनिवार्य रुप से सर्वे कराएं और झोलाछापों की सूचना सम्बंधित विभाग को दें
दिल्ली पुलिस के लिए
-सभी पुलिस थानों में अनिवार्य रुप से एंटी क्वैक्री अधिकारी की नियुक्ति की जाए
-बीट अधिकारी समय-समय पर झोलाछापों से सम्बंधित रिपोर्ट थाने व जिला चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को अनिवार्य रुप से दें
-झोलाछापों की सक्रियता पाए जाने पर और सूचना नहीं दिए जाने की स्थिति में बीट अधिकारी और थाना लेवल के एंटी क्वैक्री अधिकारी पर कड़ी कार्यवाही की जाए
संस्था झोलाछापों के खिलाफ दिल्ली सरकार के द्वारा चलाए जा रहे अभियान में सक्रिय रुप से भाग लेने के लिए सक्षम है। संस्था का मानना है किसी भी सामाजिक बुराई को केवल शिक्षा और जागरुकता के द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है।
Naresh Lamba
President
Social Development Welfare Society

Thursday, November 15, 2012

Legal awareness camp on Reproductive Health Rights Foeticide, Infanticide, PC & PNDT Act 1994, The Medical Termination of Pregnancy ACT.

Legal Awareness Camp

A two days awareness seminar was organized by Social Development Welfare Society (SDWS) in association with the National Women Commission recently at Sector 7, Palam Extension.
In the event, speakers from various fields shared their thoughts and vision to the community people on the occasion. 
 The programme was inaugurated by the pradhan of 360 villages, Chaudhry Kishan Solanki. Among the dignitaries' who spoke on the subject of female foeticide, dowry, equality of women in the society etc. Among the leading speakers were Charu  Walikhanna, member  secretary National Commission for Women, zile singh, ACP, PG Cell Delhi police , Dr KS Bhati, Sr Advocate Supreme Court, SHO Dwarka South Suman Pushkarna, Paroma Bhattacharya, senior journalist from 
 Dainik Jagran Citytplus and many other were present. Women of the community too, expressed their feeling and appealed to the society to give proper importance to female and let them feel equal with the male.

President of SDWS, Naresh Lamba said, "The event was held to sensitize the society about the subject of female foeticide and spread the awareness in the community.”

Monday, September 17, 2012

Bhagidari, Govt. of NCT of Delhi भूख मुक्त दिल्ली अभियान


Bhagidari, Govt. of NCT of Delhi

भूख मुक्त दिल्ली अभियान के तहत इंटर ग्लोब होटल्स एन एच ८ दुवारा दिल्ली सरकार कि भागीदारी से आपकी रसोई योजना के दुवारा महिपाल पुर रेड लाइट पर दिल्ली के 13 वे संटर का माननीया मिख्य मंत्री जी दुवारा  उदघाटन किया. इस सेंटर पर हर रोज दोपहर 12 .00 बजे से 1.00 बजे तक निरक्षित लोगो को मुफ्त खाना दिया जायेगा. 






इस अवसर पर मुख्य मंत्री जी व श्रीमती किरण वालिया जी ने गरीब बच्चो को आपने हाथो से खाना खिलाया. भागीदारी कोर कमेटी के  सदस्य श्री नरेश लाम्बा जी ने गरीब बच्चो  (महिपाल पुर चौराहे पर निराश्रित बच्चो तथा निम्बू मिर्च इत्यादि बेचने वाले बच्चे) के  साथ मुख्य मंत्री जी का फूलों के गुलदस्ते से स्वागत किया. 





मुख्य मंत्री जी उन बच्चो से पूछा के वे स्कूल जाते हैं या नहीं तो बच्चो ने स्कूल का ज्ञान होने से ही मना किया. मुख्य मंत्री जी उनके साथ अन्य  निराश्रित ओरतो से कहा कि इन बच्चो को स्कूल भेजा करो दिल्ली में स्कूल में मुफ्त पढाई के साथ साथ इन बच्चो के लिए खाना और अन्य सुविधाए भी दी जाती हैं.





भागीदारी अधीक्षक श्री मुजफ्फर इम्तियाज साहब का क्षेत्र में पधारने के लिए श्री लाम्बा जी ने और  गाँव शाहाबाद मोहम्मद पुर  कि तरफ से श्री ओम प्रकाश सोलंकी जी मुख्यमंत्री जी का स्वागत किया.














main persons:
1. Hon'ble CM Smt Shiela Dixit Ji
2. Proff. Kiran Walia ji, Hon'ble minister
3. Hon'ble Dy. Commissioner Shri Vikas Anand
4. Shri Alok Sharma Hon'ble SDM Vasant Vihar
5. Shri Krishna Mohan Hon'ble SDM Najafgarh
6. Shri Kulanand Joshi Hon'ble Adl. Sec. CM bhagidari
7. Shri Manoj Jain Hon'ble Dy. Eec. to CM Bhagidari
8. Shri Mujjaffar Imtiaz Hon'ble Supdt. Bhagidari
9. Shri Naresh Lamba, Member core committee, Bhagidari Distt. S/W

Sunday, April 22, 2012

HELLO, ANYONE OUT THERE?


HELLO, ANYONE OUT THERE?

Jupiter’s moons key to alien life?

Europa, Callisto & Ganymede Fulfil All Conditions Needed To Sustain Life

Collection & Source: Times of India
Washington: Researchers are keen on exploring Jupiter’s icy moons, which may resemble some of the planets found orbiting stars beyond our solar system, to assess their suitability for life. 
Europa, Callisto and Jupiter’s largest moon, Ganymede, are all believed to have liquid oceans beneath their icy shells, as well as organic chemistry and possible sources of energy beyond the dim amount of sunlight that reaches their distant surfaces. 
These are all conditions that may be required for life in much more distant planetary bodies. 
We thought for quite some time these were dead icy bodies, but we have recently actually discovered a fabulous collection of very geologically active things there,” planetary scientist Athena Coustenis, with the Paris Ob
servatory in France, said. A newly proposed mission, The Jupiter Icy Moons Explorer, nicknamed JUICE, would send a spacecraft to study the three moons and their habitability. 
Mission planners selected Ganymede as an archetype of an exoplanet water world like GJ 1214b, a super-Earth discovered last year 
circling a star about 40 light-years from Earth. “We think it is the best example of a liquid environment trapped between icy layers,” JUICE science study team member Olga Prieto Ballesteros, with the Center of Astrobiology in Madrid, Spain, said. Europa poses an intriguing model to those exploring the possibility of alien life because its buried ocean is believed to be in direct contact with the moon’s silicate mantle, a source of salts and other elements. 
Europa is thought to be like exoplanets that are between water worlds and Earth-like bodies. 
The icy planetary bodies have opened the possibility to find habitats in deeper environments. We can say that these will expand the classical concept of habitability,” which previously was limited to places with liquid water on surface, Prieto Ballesteros said. ANI

Tuesday, April 17, 2012

Treatment of Tree



On its deathbed, neem tree gets A Healing Touch

A 60-year-old neem tree in central Delhi was saved from sure collapse by timely intervention. It will live on for over 20 years

Neha Lalchandani | TNN 

Collected & Source: Times of India
    The operation went on for almost three hours but the doctors were happy with the outcome. Despite a massive insect infestation that had gnawed away its innards and a recent fracture, they believe the patient will make a full recovery and will probably live on for another 20-30 years. The 60-yearold Neem tree at the juncture of Lodhi Road and Bhishma Pitamah Marg has been given a new lease of life. 
    Its growth stunted as it struggled to survive Delhi’s harsh environment, and its roots suffocated by the tightening noose of concrete around its base, the tree was almost split into two as a huge branch was ripped off in a thunder squall last week. MCD asked the NDMC tree ambulance for help, which decided that an immediate “surgery” was needed to save the Neem. 
    Since it started operating in Delhi, the tree ambulance has saved a few hundred trees in the city, most of them in the NDMC areas. More than 50 trees have been operated upon, a procedure in which old and usually hollow trees are treated, packed with flexible material and 
sealed so that they may grow back. On Tuesday, 
the joint operation by NDMC and MCD started around 10.30am in which first the broken branch 
was removed and then the tree treated for its 
termite infestation. “The tree was very sick and would have eventually collapsed. First, we 
hacked out the termite infested part. The wood actually crumbled when we touched it. Once the major portion was removed manually, we hosed it with water jet to clean it completely,” said Kaushik. 
    Once rid of the pests, the inside of the trunk was washed with chloropyriphose, an insecticide. Then the cavity was painstakingly filled with foam, thermocol and cotton to provide support to the trunk. These were then secured using a wire mesh. “These materials were chosen as they provide support and sufficient flexibility to the tree. Wood will start growing back within the next 10 days, and as the trunk heals, these materials will be squeezed inward without any resistance. In earlier operations we used hard materials but realized that it did not leave the tree with any flexibility,” added Kaushik. 
    Finally, the materials were sealed with plaster of Paris and the fallen bark was pressed back into place. This was then secured using strips of hessian. The exposed part from where the branch had broken off was also sealed with PoP and then covered with an additional layer of cement to prevent water from going in. 

    Suhas Borkar, founder member of Green Circle of Delhi, who reported the case to authorities, says that it is not surprising for trees to collapse. “Pollution levels are rising, groundwater tables are falling and the trees are being allowed no space to breathe. Greening guidelines provide for adequate space of at least 6 X 6 feet has to be left around trees while cementing or tiling. Horticulture departments in all civic agencies should have tree disease and surgery units. None of these guidelines are being followed and Delhi’s trees are in poor shape.”

NDMC & MCD staff first sawed off termite infested part of the trunk and then hosed it with water. The cavity was then treated with insecticide and painstakingly filled up with foam, thermocol & cotton


Cavity was then sealed with plaster of Paris and cement, and bound with hessian strips in the end