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Thursday, February 3, 2011

Kya Pahuncha Doge Meri Maa Tak Mera Paigam

क्या पहुंचा दोगे मेरी माँ तक मेरा पैगाम 




















Munim Singh Bhadoria
(Muni)
जब से छोड़ा अपना प्यारा गाँव ,
नहीं मिला है तब से मुझको कोई ठांव .
घर क्या छोड़ा छुट गया है सारा जग,
दर-दर  फिरूं भटकता कहीं  न  मिलता पग.
ओ आकाशी पथ पर चलने वाले घनश्याम,
क्या पहुंचादोगे मेरी माँ तक मेरा पैगाम.
ओ नील गगन के पंछी क्या पार किया है तुमने मेरा देश, 
क्या बापू ने भेजा है मुझको कोई सन्देश .
पर बादल पंछी बिना सुने ही  उड़ते जाते, 
मेरी ब्यथा कथा पर तनिक तरस न खाते I
क्रमश ..................................
मुनीम सिंह