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Thursday, February 3, 2011

Kya Pahuncha Doge Meri Maa Tak Mera Paigam

क्या पहुंचा दोगे मेरी माँ तक मेरा पैगाम 




















Munim Singh Bhadoria
(Muni)
जब से छोड़ा अपना प्यारा गाँव ,
नहीं मिला है तब से मुझको कोई ठांव .
घर क्या छोड़ा छुट गया है सारा जग,
दर-दर  फिरूं भटकता कहीं  न  मिलता पग.
ओ आकाशी पथ पर चलने वाले घनश्याम,
क्या पहुंचादोगे मेरी माँ तक मेरा पैगाम.
ओ नील गगन के पंछी क्या पार किया है तुमने मेरा देश, 
क्या बापू ने भेजा है मुझको कोई सन्देश .
पर बादल पंछी बिना सुने ही  उड़ते जाते, 
मेरी ब्यथा कथा पर तनिक तरस न खाते I
क्रमश ..................................
मुनीम सिंह 

Tuesday, February 1, 2011

Tirath Jaisa Mera Gaon

Munim Singh
(Muni)
8527836735
muni.logical@gmail.com






तीरथ जैसा मेरा गाँव
जिला इटावा पोस्ट बिरुहनी मौजमपुर शुभधाम
भीखेपुर से तीन मील उत्तर दिशि स्थित ग्राम,
सड़क किनारे वृक्ष कतारें बम्बा तक ले जावें
करते नृत्य मयूर, कोयलें कुँहक-कुँहक गावें,
सांझ ढले संध्यां की लाली कुम-कुम सी सजती है
नई बहु सी पुरवईयाँ कुछ सहम-सहम चलती है,
शीतल बहे समीर छेड़ती घूघंटपट है
बीते युग की याद दिलाते घट पनघट हैं,
चीर बीहड़ों को दक्खिन में जमुना जी बहती है
उत्तर में सेंगर सरिता कुछ मंद-मंद चलती है,
माता रजनी पिता उदय सिंह के नैनों का तारा
इसी गाँव की पावन रज ने जिसे सवाँरा,
जीवन पथ की कठिन डगर में बिछुड़ गया है मेरा गाँव
कभी - कभी आना-जाना है तीरथ जैसा मेरा गाँव।