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Tuesday, April 28, 2015

जैविक खेती क्या है

जैविक खेती क्या है
जैविक खेती एक ऐसी पध्दति हैजिसमें रासायनिक उर्वरकोंकीटनाशकों तथा खरपतवारनाशियों के स्थान पर जीवांश खाद पोषक तत्वों (गोबर की खाद कम्पोस्टहरी खादजीवणु कल्चरजैविक खाद आदि) जैव नाशियों (बायो-पैस्टीसाईड) व बायो एजैन्ट जैसे क्राईसोपा आदि का उपयोग किया जाता हैजिससे न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती हैबल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता तथा कृषि लागत घटने व उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ने से कृषक को अधिक लाभ भी मिलता है।जैविक खेती वह सदाबहार कृषि पध्दति हैजो पर्यावरण की शुध्दताजल व वायु की शुध्दताभूमि का प्राकृतिक स्वरूप बनाने वालीजल धारण क्षमता बढ़ाने वालीधैर्यशील कृत संकल्पित होते हुए रसायनों का उपयोग आवश्यकता अनुसार कम से कम करते हुए कृषक को कम लागत से दीर्घकालीन स्थिर व अच्छी गुणवत्ता वाली पारम्परिक पध्दति है।

Naresh Lamba

Friday, June 6, 2014

Prevention of Anti-Quackery in Community

Prevention of Anti-Quackery in Community 2013-14
Awareness camp in Nasirpur Sabzi Mandi
Prevention of Anti-Quackery in Community 2013-14 ( Nasirpur Sabzi Mandi )
Awareness campaign against Quack Doctors
Prevention of Anti Quackery in community associate with Delhi Health Service (DHS), Govt of NCT of Delhi.
Aims and Objectives of the campaignTo educate people about the difference between the medical treatment given by Qualified and Unqualified doctors. To inspire and motivate people to avoid services or any kind of medication given by quacks.

नीम हक़ीम झोला छापों के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम
कार्यक्रम का उद्देश्य :-
नीम हकीम एवं झोलाछाप  डॅाक्टरों के खिलाफ समाज में जागरुकता फैलाना।
क्वालिफाइड एवं अनक्वालिफाइड डाॅक्टरों के इलाज में अंतर के बारे में बताना।
समाज में सक्रिय विभिन्न प्रकार के झोलाछापों के बारे में बताना।
झोलाछापों से इलाज न करवाने तथा हमेशा पंजीकृत चिकित्सक, सरकारी डिस्पेंसरी या बडे़ अस्पतालों में ही इलाज करवाने के लिए लोगों को प्रेरित करना।
कार्यक्रम प्रस्तावना:-
संस्था द्वारा पाँच चरणों में समाज में नीम-हकीम एवं झोलाछापों के खिलाफ जागरुकता अभियान कम्यूनिटी मीटिंग (जन संपर्क), मुनादी (सार्वजनिक घोषणा), नुक्कड़ नाटक, सार्वजनिक मंचन द्वारा शिक्षा देना, जागरुकता कैंप (प्रशिक्षित एवं विषय संबंधी योग्य व्यक्ति द्वारा लोगों को जानकारी देना व कार्यक्रम और समस्या पर लोगों के विचार लेना), जागरुकता सामग्री वितरण (कार्यक्रम संबंधी जागरुकता एवं शिक्षाप्रद सामग्री वितरित करना) पद्धतियाँ अपनाई गई।
क्षेत्र का सर्वे करने व कार्नर मीटिंग में लोगों के साथ हुए विचार विमर्श के बाद कार्यक्रम स्थल का चुनाव किया गया। सर्वे में सबसे पहले उन स्थानों को चिन्हित किया गया जहाँ कार्यक्रम के मुख्य लक्षित समूह
तथा झोलाछाप सक्रिय हैं।
इन क्षेत्रों में सक्रिय झोलाछापों की चिकित्सा पद्धतियों की पहचान कर लोगों को शिक्षित करने के लिए संस्था द्वारा प्रवक्ताओं का चयन भी काफी गहन विचार-विमर्श के बाद किया गया। अलग-अलग विषयों पर प्रशिक्षित व्यक्तियों जिसमें क्वालिफाइड डाॅक्टर, एडवोकेट, टीचर, और जादू-टोना द्वारा चिकित्सा संबंधी  भ्रांतियों को दूर करने के लिए देश के मशहूर तुलसी जादूगर को कार्यक्रमों के दौरान प्रवक्ता बनाया गया।
लक्षित समूह:-
जागरुकता कैंप के लिए विशेषतौर पर समाज के उस वर्ग को लक्षित किया गया जिनकी झोलाछाप के चंगुल में फँसने की संभावना अधिक रहती हैं या जो झोलाछापों से इलाज कराते हैं।
अन्य उद्देश्य:-
जागरुकता के अलावा झोलाछापों की बढती सक्रियता एवम् संख्या के कारण तथा इनसे बचाव और समाज में इनकी रोकथाम कैसे की जाए यह पता लगाना भी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रखा गया। 
संस्था का मानना है कि किसी भी बुराई को केवल शिक्षा और जागरुकता के द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है। संस्था द्वारा चार विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रमों में इस अभियान के उद्देश्य को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए संस्था ने क्षेत्रिय आरडब्लूए व क्षेत्रीय संगठनो का भरपूर सहयोग लिया। कार्यक्रम के उद्देश्य को विस्तार से प्रचार करने के लिए स्थानीय हिन्दी समाचार पत्र स्ट्रीट रिपोर्टर का सहयोग लिया गया। जिससे विभिन्न माध्यमों द्वारा संस्था एवं दिल्ली हेल्थ सर्विसिज के इस प्रयास के लिए लोगों की काफी सराहना प्राप्त हुई।
कार्यक्रम विवरण:-
नीम हकीम एवं झोलाछाप के खिलाफ जागरुकता अभियान।
दिनाँक - 5 मार्च, 2014
स्थान - नसीरपुर सब्जी मंडी

कार्यक्रम गतिविधियाँ: -
ऽ    सर्वेक्षण (survey) , 27-28 फरवरी, 2014
ऽ    क्षेत्र- नसीरपुर कालोनी, नसीरपुर गांव, नसीरपुर सब्जी मंडी
ऽ    सर्वेक्षक - रेखा शर्मा, अरुण डबास
ऽ    सर्वेक्षण के मुख्य बिन्दु -
लोगों से बातचीत करके पता लगाना कि वे लोग इलाज कहाँ कराते हैं।
क्षेत्र के लोगों को होने वाली बीमारियाँ।
कार्यक्रम के बारे में लोगों को बताना।
कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लोगों को प्रेरित करना तथा लक्षित समूह की पहचान करना।
कम्यूनिटी मीटिंग - 1-2 मार्च, 2014
1 मार्च, 2014
स्थान -नसीरपुर कालोनी
प्रमुखगण- नसीरपुर महिला स्वंय सहायता समूह की 22 महिलाएं व अन्य

कम्यूनिटी मीटिंग 2 मार्च, 2014
स्थान- नसीरपुर सब्जी मंडी
प्रमुख व्यक्ति
श्री सतीष यादव (उपाध्यक्ष-नसीरपुर सब्जीमंडी एसोसिएषन)
श्री राजबीर सिंह (अध्यक्ष-नसीरपुर सब्जी मंडी एसोसिएषन)
जनाब अखतर अली (सामाजिक कार्यकर्ता)
श्री रणधीर सिंह (लोकल मीडिया)
व अन्य लगभग 25 व्यक्ति
मीटिंग की मुख्य बातें जिन पर चर्चा की गई:-
ऽ    कार्यक्रम के उद्देशय के विषय में बताया गया।
ऽ    ज्यादा से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम में बुलाया जाए।
ऽ    कार्यक्रम आयोजन स्थल पर चर्चा की गई।
ऽ    नसीरपुर कालोनी व नसीरपुर सब्जी मंडी में अलग-अलग दिन क्षेत्र के प्रमुख लोगों के साथ मीटिंग रखी गई जिसमें कार्यक्रम के आयोजन संबंधी बातों पर विचार विमर्श किया गया।
मुनादी एवं जागरुकता प्रचार सामग्री वितरण 4 मार्च, 2014
बाल्मीकि विहार व आसपास की कालोनियों तथा मंगलापुरी और महावीर एनक्लेव के कुछ भाग में लाउडस्पीकर द्वारा मुनादी कराई गई व प्रचार सामग्री वितरित कराई गई। मुनादी द्वारा लोगों को भारत में पोलियों उन्मूलन की सफलता  व कार्यक्रम स्थल और लोगों को ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कहा गया।


नुक्कड़ नाटक
जागरुकता कार्यक्रम स्थल के आस-पास लोगों को एकत्र करने के लिए कार्यक्रम से पहले और कार्यक्रम के दौरान लोगों को झोलाछापों के इलाज से किस प्रकार दिक्कत आ सकती है। नुक्कड़ नाटक टीम द्वारा सफलतापूर्वक मंचन करके लोगों को जागरुक किया जिसको काफी सराहना मिली।
जागरुकता कार्यक्रम:-
5 मार्च, 2014
कार्यक्रम संक्षेप -
नीम हकीम व झोलाछापों के खिलाफ जागरुकता अभियान के तहत नसीरपुर सब्जी मंडी के अन्दर जागरुकता कैंप का आयोजन किया गया। सब्जी मंडी में ज्यादातर बाहरी राज्यों से आकर रोजगार के लिए दिल्ली में बसें लोग कार्य करते है। उनके अनुसार उनको किसी भी प्रकार की दिल्ली में सरकारी डिस्पेंसरी के बारे में नही पता। न ही वे इलाज के लिए कभी दिल्ली में सरकारी डिस्पेसरी में गए है। वहीं नजदीक ही एक दो झोलाछाप बैठे है जिनसे वे इलाज करवाते आए है। कैंप में लगभग 450 महिलाओं व पुरुषों ने भाग लिया। संस्था के मुख्य प्रवक्ताओं द्वारा लोगों को झोलाछाप डाॅक्टरों से इलाज न करवाने के लिए कहा गया। लोगों को हमेशा सरकार द्वारा पंजीकृत डाॅक्टर, सरकारी डिसपेंसरी, या बडे अस्पताल में ही इलाज करवाने के लिए प्रेरित किया गया। नुक्कड़ नाटक के मंचन द्वारा लोगों को बताया गया कि झोला छाप डाॅक्टर से किस किस प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं। प्रवक्ताओं द्वारा लोगों को झोला छाप व क्वालिफाइड डाॅक्टर के इलाज में अंतर तथा उनकी पहचान करने के तरीके के बारे में बताया गया। मीडीया से आए रणसिंह चैधरी व जनाब अखतर अली खान ने पिछले कुछ समय से झोलाछापों की खबरों और उनके इलाज से हुई दुर्घटनाओं के बारे बताया। कैंप के दौरान डाॅ0 कुलदिप राज व डाॅ0 ए.के. मिश्रा जी ने जाँच में पाया की अधिकांष लोगों को चर्म रोग व हाथ-पैरो में फोड़े-फुंसी हो रखे है। मंडी के आस-पास काफी गंदा पानी जमा है जिससे गंदगी और बदबू का भी बूरा हाल है। मंडी एसोसिएषन के उपाध्यक्ष ने विशेष तौर पर कार्यक्रम में रुची दिखाई और मंडी व आस-पास के लगभग सभी छोटे-बड़े फल एवं सब्जी विक्रेताओं को कैंप में बुलाया गया। जागरुकता कैंप भी प्रातः 10.30 से षाम 3.00 बजे तक चला। सतीष यादव ने बताया कि मंडी के आस-पास कोई डिस्पेंसरी न होने के कारण इन लोगों को काफी दिक्कतें आ रही है। रहन-सहन का वातावरण तो बहुत ही खराब है। उन्होने संस्था के माध्यम से दिल्ली हैल्थ सर्विस को  नसीरपुर मंडी में सप्ताह में कम से कम दो बार मोबाईल डिस्पेंसरी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आग्रह किया है। मंच संचालन कवि एवं पत्रकार आर.के. त्रिवेदी ने किया। कार्यक्रम के अंत में राश्ट्रीय कवि एवं अध्यापिका श्रीमती प्रीतीमा खंडेलवाल ने उपस्थित सभी को झोलाछापों से इलाज न करवाने की शपथ दिलाई।
कुल भागीदार-लगभग 450
मुख्य प्रवक्ता एवं उनके सम्बोधन का सार
ऽ    डाॅ कुलदीप राज
ऽ    डाॅ ए के मिश्रा
ऽ    रणसिंह चैधरी
ऽ    जनाब अखतर अली
ऽ    श्रीमती प्रीतीमा खंडेलवाल
ऽ    नरेश लाम्बा
ऽ    मास्टर हरिओम गुप्ता

डाॅ कुलदीप राज ( चिकित्सा अधिकारी राजकीय स्वास्थ्य केन्द्र गाजियाबाद )
डाॅ कुलदीप राज जी ने अपने सम्बोधन में मुख्य रुप से इलाज करवाने संबंधी जानकारियाँ व सावधानियों
पर लोगों का बताया। जिनमें:-
ऽ    झोलाछाप की पहचान करना
ऽ    क्वालिफाइड और अनक्वालिफाइड डाॅक्टर के इलाज में अंतर
ऽ    बिना पर्चे के दवाइयाँ न लें
ऽ    विज्ञापन आधारित दवाओं से दूर रहें
ऽ    दवाओं के साइड इफैक्ट को जानें
ऽ    मुख्य रुप से प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों की जानकारियाँ इत्यादि जानकारियाँ देते हुए लोगों को झोलाछाप डाॅक्टरों से किसी भी स्थिति में इलाज न करवाने की अपील की।
डाॅ ए के मिश्रा ( टीबी एवं कुश्ठरोग नियंत्रण प्रोग्राम, डेमियन फाउंडेषन )
डाॅ0 मिश्रा जी ने लोगों को टीबी के लक्षण, बचाव व इलाज के बारे में विस्तार से जानकारियाँ दी और बताया कि किस प्रकार से छोटी-छोटी बीमारियाँ लापरवाही और गलत इलाज के कारण गंभीर रुप धारण कर लेती है।
रणसिंह चैधरी एवं जनाब अखतर अली (मीडिया)
मीडिया के क्षेत्र में कार्यरत रणसिंह चौधरी व अखतर अली ने लोगों को पिछले कुछ समय के दौरान झोलाछापों के इलाज से हुई दुर्घटनाओं के बारे में बताया। उन्होने झोलाछापों को समाज में गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि इस समस्या से केवल जनभागीदारी व सजगता से ही निपटा जा सकता है। उन्होने हाई कोर्ट में चल रहे झोलाछाप के इलाज से हुई मौत के एक मामले के बारे में बताते हुए कहा कि सरकारी विभाग से जब कोर्ट ने पूछा की झोलाछाप की सूचना मिलने के बाद भी विभाग ने उसपर कार्यवाही क्यों नही कि अगर कार्यवाही समय पर होती तो उस महिला की जान बच जाती-इस पर सरकार ने बड़ा हास्यपद बयान दिया कि हमारे पास रेड करने के लिए कोई वाहन उपलब्ध नही है। उन्होने लोगों से अपील की कि अपने स्वास्थय और जान को जोखीम में न डालें और कभी भी झोलाछापों के चंगुल में न आए। इलाज बेशक मंहगा ही क्यों न हो केवल क्वालिफाइड डाॅक्टर से ही करवाना चाहिए।
संस्था अध्यक्ष नरेश लाम्बा
नरेश लाम्बा जी ने लोगो को सम्बोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में कई प्रकार के झोलाछाप सक्रिय है। जिनमें से अधिकांश छोटी-छोटी कालोनियों में क्लीनिक चला रहे है। उनके पास किसी भी प्रकार की चिकित्सा पद्धति का सरकारी प्रमाण पत्र नहीं होता। अभी तक जो मामले समाचार पत्रों व अन्य माध्यमों से सामने आए है उनमें ज्यादातर कुछ दिनों तक किसी डाॅक्टर के पास काम करके कुछ दवाईयों के नाम याद कर लेते है। कोई 10वीं पास मिला है तो कोई 12वीं कक्षा तक ही पढ़ा लिखा है। कुछ मामलों में तो 8वीं पास भी मिले है। जाली डिग्री व अपने किसी रिशतेदार की डिग्री लेकर क्लीनिक खोल लेते है और लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे है। सड़को पर शाही दवाखाने के नाम पर चला रहे दुकानदार तो अनपढ़ होते है। वे कैसे आपका सही इलाज कर सकते है। इसके अलावा कुछ लोग सीधें दवा की दुकानों से बिना डाॅक्टर की पर्ची के ही दवा लेते है, अस्पतालों में काम करने वाला कर्मचारी अगर इलाज करता है, बसों में, रेलवे स्टेशन व बस अड्डों पर दवा की शीशी बेचने वाले ये सब झोलाछाप कहलाते है। सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी चिकित्सा पद्धती से इलाज करने वाले व्यक्ति के पास अगर संबंधित विभाग द्वारा जारी डिग्री और पंजीकरण प्रमाण पत्र नहीं है तो वह झोलाछाप कहलाता है। आप अपने व अपने परिवार के स्वास्थय के साथ खिलवाड़ न करें इलाज हमेशा क्वालिफाइड डाॅक्टर या सरकारी डिस्पेंसरी में और बड़े अस्पताल में ही करवाएं।
श्रीमती प्रीतीमा खंडेलवाल (अध्यापिका एवं राष्ट्रीय कवि)
श्रीमती प्रीतीमा जी ने उपस्थित सभी को झोलाछापों से इलाज न करवाने की शपथ दिलवाई और विद्यालय की एक निजी सफाई कर्मचारी के इलाज का उदाहरण देते हुए बताया कि गांव में रह रहे उसके ससूर के पैर में केवल एक फोड़ा निकल आया था और पहले तो वे घर में ही इलाज करते रहे उसके बाद गांव में एक प्राईवेट अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी से इलाज करवाया। जब फोड़ा बढता ही गया और पैरों से चलना मुश्क़िल हो गया तब वे लोग उसको लेकर दिल्ली आए। यहाँ आकर उन्होंने उनको सरकारी अस्पताल में दिखाया तो पता चला कि फोड़े का जहर पूरे पैर में फैल चुका है और बाद में उसका पैर काटना पड़ा। उन्होंने लोगो से अपील की कि वे इस तरह की लापरवाही न करें। जिस तरह के वातावरण में वे लोग रहते है और दिन रात काम करते है ऐसे में छोटी-छोटी बीमारियाँ निरंतर बनी रहती है। अपने स्वास्थय का ख्याल रखें और इलाज हमेंशा सरकारी डिस्पेंसरी में ही कराए। सरकारी डिस्पंसरियों में कोई भी व्यक्ति चाहे वह कहीं का भी रहने वाला हो उसका इलाज निःशुल्क किया जाता है। अगर बीमारी बड़ी होती है तो उनको सरकारी बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है। थोड़ी परेशानी और समय तो लगेगा लेकिन इलाज सही होगा।
कार्यक्रम उद्घाटन सम्बोधन ( नरेश लाम्बा अध्यक्ष )
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए संस्था अध्यक्ष नरेश लाम्बा जी ने दिल्ली हेल्थ सर्विसिज दिल्ली सरकार के अनुदान से संस्था द्वारा चलाए जा रहे नीम हकीम एवं झोलाछाप के खिलाफ जागरुकता अभियान के बारे में विस्तार से बताया तथा ये झोलाछाप किस प्रकार से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रहे हैं और कैसे इनके इलाज से लोगों का आर्थिक शोषण हो रहा है विषय पर चर्चा की। संस्था अध्यक्ष ने लोगों को किसी भी स्थिति में झोलाछापों से इलाज न करवाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अपने और अपने परिवार के स्वास्थय के साथ खिलवाड़ न करें, इलाज हमेंषा क्वालिफाइड डाॅक्टर, सरकारी डिस्पेंसरी या बड़े अस्पताल में ही कराए।
कार्यक्रम प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया
कार्यक्रम के दौरान भागीदारों से कार्यक्रम के बारे में प्रतिक्रियाएँ ली गई। कार्यक्रम के आयोजन को काफी सराहना मिली। झोलाछापों के खिलाफ सरकारी स्तर पर विशेष कार्यवाही न होने और सरकारी डिस्पेसरियों में पूरी सुविधाएँ न होना भी लोगों ने एक मुख्य समस्या बताया। लोगों से ली गई प्रतिक्रियाओं का सार इस प्रकार है-

कार्यक्रम के आयोजन से आपको/समाज को क्या संदेश मिला?
प्रतिक्रिया-लोगों ने कार्यक्रम के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि कार्यक्रम काफी षिक्षाप्रद रहा है, हमारा प्रयास रहेगा कि झोलाछापों से इलाज न कराएं।
क्या इस क्षेत्र/अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन/विस्तार करना चाहिए और क्यों?
प्रतिक्रिया- लोगों ने बताया कि सब्जी मंडी में पहली बार किसी जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस प्रकार के कार्यक्रम होते रहने चाहिए। इस कार्यक्रम से उनको काफी जानकारी प्राप्त हुई है। कई लोगो को तो झोलाछाप डाॅक्टर का अर्थ भी नहीं पता था। उन्होने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर होते रहने चाहिए इनसे काफी जागरुकता आती है।
कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण भाग कौन सा रहा?
प्रतिक्रिया- लेागों ने डाॅ0 कुलदिप राज और डाॅ0 मिश्रा जी द्वारा दी गई जानकारियों को काफी महत्वपूर्ण बताया। नुक्कड़ नाटक टीम द्वारा प्रस्तुत किए गए मंचन कि किस प्रकार से काॅलोनी में हाजमें का चुर्ण बेचने आए वैद्य के चुर्ण से तबीयत खराब हो जाने पर मास्टर जी द्वारा लोगों को संदेष देने को काफी सराहा गया।
कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर आप क्या कदम उठाऐंगें?
प्रतिक्रिया- कार्यक्रम भागीदारों ने कहा कि वे हर सम्भव प्रयास करेंगें कि झोलाछापों के पास इलाज के लिए न जाएं और छोटी-छोटी बीमारियों की अनदेखी न करें।
क्या कार्यक्रम के आयोजन में कोई कमी रही?
प्रतिक्रिया- ज्यादातर लोगों ने कार्यक्रम की सराहना की। लोगों ने सरकारी अधिकारियों की अनुपस्थिति पर काफी रोश प्रकट किया।
क्या आप संस्था/संबंधित विभाग को कोई संदेश देना चाहते है?
प्रतिक्रिया- लोगों ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों का ज्यादा से ज्यादा विस्तार करना चाहिए। नसीरपुर सब्जी मंडी के आस-पास कोई भी सरकारी डिस्पेंसरी नहीं है। जिससे काफी दिक्कतें आती है। मंडी में लगभग 1000 लोग कार्य करते है। जिनके इलाज के लिए सप्ताह में कम से कम दो दिन मोबाइल चिकित्सा वैन की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए।
झोलाछापों की समाज में बढ़ती सक्रियता एवं संख्या के क्या मुख्य कारण है?
प्रतिक्रिया-
इस क्षेत्र में सरकारी डिस्पेंसरी का न होना और डिस्पेंसरी दूर होना
इनमें इलाज के लिए जाने पर होने वाली दिक्कतें।
दिन रात काम पर होने और यहाँ ज्यादातर मजदूर होने के कारण आस-पास ही इलाज करवा लेना
क्वालिफाइड डाॅक्टर्स की फीस बहुत महंगी होना।
छोटी कालोनियों में क्वालिफाइड डाॅक्टर्स की कमी।
झोलाछापों पर सरकारी स्तर पर कड़ी कार्यवाही न होना।
झोलाछापों द्वारा लोगों के साथ बेहतर तालमेल बना लेना।
झोलाछापों की सेवाएं घर के नजदीक और सस्ती होना।
बड़े प्राइवेट अस्पतालों द्वारा छोटी-छोटी बीमारियों के लिए महंगे टेस्ट करवाना और फीस ज्यादा होना।
लोगों में जागरुकता का अभाव।
झोलाछापों पर किस तरह से रोक लगाई जा सकती हैं ?
प्रतिक्रिया
सरकारी डिस्पेंसरियों की संख्या बढ़ाकर।
सरकारी डिस्पेसरियों का समय बढ़ाकर।
सरकारी डिस्पंसरियों में चिकित्सा सेवाओं का विस्तार करके।
बड़े प्राइवेट अस्पतालों की फीस और बेफिजूल के टेस्टों पर सरकारी लगाम लगाकर। उनको कमजोर वर्ग के लोगों को इलाज में रियायत देने के लिए प्रेरित करके।
झोलाछापों पर पूरी तरह से कड़ाई से सरकारी प्रतिबंध लगाकर।
क्वालिफाइड डाॅक्टर्स को छोटी काॅलोनियों में अपनी सेवाएं देने के लिए प्रेरित करके।
जागरुकता और षिक्षाप्रद कार्यक्रमों का विस्तार करके।
कार्यक्रम का समग्र निष्कर्ष
नसीरपुर सब्जी मंडी में कार्यक्रम के आयोजन के लिए कम्यूनिटी मीटिंग के दौरान सब्जी मंडी एसोसिएषन के उपाध्यक्ष श्री सतीष यादवजी ने विशेष तौर पर आग्रह किया। उन्होने बताया मंडी में काफी विक्रेता और मजदूर जिनको पल्लेदार कहते है, लगभग सभी अनपढ और गरीब वर्ग के है। सभी को चर्म रोग व अन्य खाँसी जैसी बीमारियाँ स्थाई तौर पर लगी है और ये शायद ही कभी सही डाॅक्टर के पास जा पाते हों। कई बार तो मंडी में ही पेट की तकलीफ की दवा, दाँतों की दवा आदि बेचने वाले आते रहते है। ये लोग उनसे दवा खरीदते है। उनके आग्रह को संस्था द्वारा स्वीकार किया गया और कार्यक्रम का आयोजन नसीरपुर सब्जी मंडी के अन्दर ही रखा गया। कार्यक्रम में मंडी के विक्रेताओं के अलावा काफी संख्या में खरीदार भी मौजूद थे। जिन्होने कार्यक्रम में भाग लिया और कार्यक्रम की काफी सराहना की।
कार्यक्रम के दौरान डाॅ0 ए.के. मिश्रा जी ने काफी लोगों की जाँच की जिसमें लोगों को फोड़े-फुंसी और कई प्रकार के चर्म रोग पाए गाए। उन्होने उनको तुरंत सरकारी डिस्पेंसरी में इलाज के लिए जाने की सलाह दी और कोई दिक्कत आने पर संस्था और स्वंय से मिलने की बात कही। नुक्कड़ नाटक टीम के मंचन को लोगों ने काफी सराहा। नुक्कड़ नाटक टीम ने न केवल कार्यक्रम के दौरान अपनी प्रस्तुति की बल्कि मंडी के बाहर भी मंचन के जरिए लोगों को कार्यक्रम स्थल तक लेकर आए।
सब्जी मंडी के उपाध्यक्ष सतीष यादव जी ने संस्था से आग्रह किया कि सब्जी मंडी में सप्ताह में दो बार अगर मोबाइल चिकित्सा वैन का प्रबंध हो जाए तो इन लोगों के लिए काफी बेहतर रहेगा।
कार्यक्रम में दिल्ली हैल्थ सर्विस से कोई भी अधिकारी नहीं आए जिस कारण लोगों में निराशा रही। संस्था द्वारा एक दिन पहले फोन पर अतिरिक्त जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात हुई उन्होने आश्वासन भी दिया लेकिन कार्यक्रम के दौरान अन्य कार्यक्रम में जाने की बात कहकर उन्होने न आने का कारण बताया। संस्था द्वारा अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी से भी संपर्क किया गया था उन्होने भी जरुरी मीटिंग के कारण न आने की बात कही।


संस्था के सुझाव
कार्यक्रम में प्राप्त हुई लोगों की प्रतिक्रिया व संस्था के अनुभव से इस क्षेत्र में झोलाछापों पर अंकुष लगाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने आवशयक है-
दिल्ली हैल्थ सर्विस, दिल्ली सरकार के लिए
ऽ    नसीरपुर सब्जी मंडी में सप्ताह में कम से कम दो बार मोबाइल चिकित्सा वैन लगाई जाए
ऽ    क्षेत्र के सरकारी अस्पताल द्वारा समय-समय पर क्षेत्र में हैल्थ कैंप लगाए जाए
ऽ    जिला चिकित्सा अधिकारियों द्वारा जनसम्पर्क बढ़ाया जाए
ऽ    जागरुकता कार्यक्रमों को लगातार चला कर इनका विस्तार किया जाए
ऽ    सभी पद्धतियों के झोलाछापों को एक ही विभाग के अंर्तगत लाकर कार्यवाही हो
ऽ    झोलाछापों के खिलाफ कड़े नियम बनाए जाए
ऽ    सभी क्लीनिकों के बाहर पंजीकरण नम्बर लिखने की अनिवार्यता को कड़ाई से लागू किया जाए
झोलाछापों के खिलाफ सक्रिय संस्थाओं के लिए
ऽ    झोलाछाप के खिलाफ अन्य संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे अभियानों में सक्रिय रुप से भाग ले
ऽ    अपने कार्य क्षेत्र में लोगो को विषेश तौर पर क्षेत्रिय आरडब्ल्यूए व अन्य सामाजिक संगठनों के साथ तालमेल करके उनको सम्पर्क नम्बर इत्यादि उपलब्ध कराए।
ऽ    समय-समय पर जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन करें
ऽ    अनिवार्य रुप से सर्वे कराएं और झोलाछापों की सूचना सम्बंधित विभाग को दें
दिल्ली पुलिस के लिए
ऽ    सभी पुलिस थानों में अनिवार्य रुप से एंटी क्वैकरी अधिकारी की नियुक्ति की जाए
ऽ    बीट अधिकारी समय-समय पर झोलाछापों से सम्बंधित रिपोर्ट थाने व जिला चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को अनिवार्य रुप से दें
ऽ    झोलाछापों की सक्रियता पाए जाने पर और सूचना नहीं दिए जाने की स्थिति में बीट अधिकारी और थाना लेवल के एंटी क्वैकरी अधिकारी पर कड़ी कार्यवाही की जाए
ऽ    फेरी लगाकर और सड़को पर दवाखानाा खोलकर इलाज करने वालो पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए
संस्था झोलाछापों के खिलाफ दिल्ली सरकार के द्वारा चलाए जा रहे अभियान में सक्रिय रुप से भाग लेने के लिए सक्षम है। संस्था का मानना है किसी भी सामाजिक बुराई को केवल शिक्षा  और जागरुकता के द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है।
धन्यवाद

नरेश  लाम्बा
अध्यक्ष

Friday, May 30, 2014

नीम हक़ीम झोला छापों के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम

Prevention of Anti-Quackery in Community
नीम हक़ीम झोला छापों के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम
कार्यक्रम का उद्देश्य :-
नीम हकीम एवं झोलाछाप  डॅाक्टरों के खिलाफ समाज में जागरुकता फैलाना।
क्वालिफाइड एवं अनक्वालिफाइड डाॅक्टरों के इलाज में अंतर के बारे में बताना।
समाज में सक्रिय विभिन्न प्रकार के झोलाछापों के बारे में बताना।
झोलाछापों से इलाज न करवाने तथा हमेशा पंजीकृत चिकित्सक, सरकारी डिस्पेंसरी या बडे़ अस्पतालों में ही इलाज करवाने के लिए लोगों को प्रेरित करना।
कार्यक्रम प्रस्तावना:-
संस्था द्वारा पाँच चरणों में समाज में नीम-हकीम एवं झोलाछापों के खिलाफ जागरुकता अभियान कम्यूनिटी मीटिंग (जन संपर्क), मुनादी (सार्वजनिक घोषणा), नुक्कड़ नाटक, सार्वजनिक मंचन द्वारा शिक्षा देना, जागरुकता कैंप (प्रशिक्षित एवं विषय संबंधी योग्य व्यक्ति द्वारा लोगों को जानकारी देना व कार्यक्रम और समस्या पर लोगों के विचार लेना), जागरुकता सामग्री वितरण (कार्यक्रम संबंधी जागरुकता एवं शिक्षाप्रद सामग्री वितरित करना) पद्धतियाँ अपनाई गई।
क्षेत्र का सर्वे करने व कार्नर मीटिंग में लोगों के साथ हुए विचार विमर्श के बाद कार्यक्रम स्थल का चुनाव किया गया। सर्वे में सबसे पहले उन स्थानों को चिन्हित किया गया जहाँ कार्यक्रम के मुख्य लक्षित समूह
तथा झोलाछाप सक्रिय हैं।
इन क्षेत्रों में सक्रिय झोलाछापों की चिकित्सा पद्धतियों की पहचान कर लोगों को शिक्षित करने के लिए संस्था द्वारा प्रवक्ताओं का चयन भी काफी गहन विचार-विमर्श के बाद किया गया। अलग-अलग विषयों पर प्रशिक्षित व्यक्तियों जिसमें क्वालिफाइड डाॅक्टर, एडवोकेट, टीचर, और जादू-टोना द्वारा चिकित्सा संबंधी  भ्रांतियों को दूर करने के लिए देश के मशहूर तुलसी जादूगर को कार्यक्रमों के दौरान प्रवक्ता बनाया गया।
लक्षित समूह:-
जागरुकता कैंप के लिए विशेषतौर पर समाज के उस वर्ग को लक्षित किया गया जिनकी झोलाछाप के चंगुल में फँसने की संभावना अधिक रहती हैं या जो झोलाछापों से इलाज कराते हैं।
अन्य उद्देश्य:-
जागरुकता के अलावा झोलाछापों की बढती सक्रियता एवम् संख्या के कारण तथा इनसे बचाव और समाज में इनकी रोकथाम कैसे की जाए यह पता लगाना भी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रखा गया। 
संस्था का मानना है कि किसी भी बुराई को केवल शिक्षा और जागरुकता के द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है। संस्था द्वारा चार विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रमों में इस अभियान के उद्देश्य को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए संस्था ने क्षेत्रिय आरडब्लूए व क्षेत्रीय संगठनो का भरपूर सहयोग लिया। कार्यक्रम के उद्देश्य को विस्तार से प्रचार करने के लिए स्थानीय हिन्दी समाचार पत्र स्ट्रीट रिपोर्टर का सहयोग लिया गया। जिससे विभिन्न माध्यमों द्वारा संस्था एवं दिल्ली हेल्थ सर्विसिज के इस प्रयास के लिए लोगों की काफी सराहना प्राप्त हुई।
कार्यक्रम विवरण:-
नीम हकीम एवं झोलाछाप के खिलाफ जागरुकता अभियान।
दिनाँक - 22 फरवरी 2014
स्थान - बाल्मीकि विहार, पालम 
कुुल आबादी - लगभग 5000
कार्यक्रम गतिविधियाँ: -
सर्वेक्षण (survey) ,17-18 फरवरी 2014
-क्षेत्र बाल्मीकि विहार व आसपास की बस्तियाँ, मंगलापुरी
-सर्वेक्षक - रेखा शर्मा, अरुण डबास

सर्वेक्षण के मुख्य बिन्दु -
-लोगों से बातचीत करके पता लगाना कि वे लोग इलाज कहाँ कराते हैं।
-क्षेत्र के लोगों को होने वाली बीमारियाँ।
-कार्यक्रम के बारे में लोगों को बताना।
-कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लोगों को प्रेरित करना तथा लक्षित समूह की पहचान करना। 
कम्यूनिटी मीटिंग - 19-20 फरवरी 2014
19 फरवरी 2014
स्थान -बाल्मीकि विहार, मुख्य चौक, पालम
प्रमुख व्यक्ति -मास्टर अत्तर सिंह (जनरल सेक्रेटरी, बाबा अम्बेडकर समाज कल्याण समिति)
युगल किशोर दिवेदी (चेयरमैन, फैडरल वैलफेयर एसोसिएशन)
राम सिंह कीर ( अध्यक्ष बाल्मीकि समाज समिति)
डाॅ ए के मिश्रा ( टीबी, कुष्ठ  रोग नियंत्रण प्रोग्राम,  डेमियन फाउंडेषन )
व अन्य 30-35 व्यक्ति।
कम्यूनिटी मीटिंग 20 फरवरी 2014
स्थान -महावीर एनक्लेव
प्रमुख व्यक्ति-युगल किशोर दिवेदी (चेयरमैन फैडरल वैलेफयर एसोसिएशन )
सतप्रकाश स्वामी ( अध्यक्ष डी ब्लाॅक, आरडब्लूए महावीर एनक्लेव )
लक्ष्मी पांडे ( महिला विकास समिति महावीर एनक्लेव)
मास्टर हरिओम गुप्ता व अन्य 20-25 व्यक्ति
मीटिंग की मुख्य बातें जिन पर चर्चा की गई:-
-कार्यक्रम के उद्देश्य के विषय में बताया गया।
-ज्यादा से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम में बुलाया जाए।
-कार्यक्रम आयोजन स्थल पर चर्चा की गई।
-बाल्मीकि विहार और महावीर एनक्लेव में अलग अलग दिन क्षेत्र के प्रमुख लोगों के साथ मीटिंग रखी गई जिसमें कार्यक्रम के आयोजन संबंधी बातों पर विचार विमर्श किया गया।
मुनादी एवं जागरुकता प्रचार सामग्री वितरण 21.03.2014
बाल्मीकि विहार व आसपास की कालोनियों तथा मंगलापुरी और महावीर एनक्लेव के कुछ भाग में लाउडस्पीकर द्वारा मुनादी कराई गई व प्रचार सामग्री वितरित कराई गई। मुनादी द्वारा लोगों को भारत में पोलियों उन्मूलन की सफलता  व कार्यक्रम स्थल और लोगों को ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कहा गया।
नुक्कड़ नाटक
जागरुकता कार्यक्रम स्थल के आस-पास लोगों को एकत्र करने के लिए कार्यक्रम से पहले और कार्यक्रम के दौरान लोगों को झोलाछापों के इलाज से किस प्रकार दिक्कतें आ सकती है। नुक्कड़ नाटक टीम द्वारा सफलतापूर्वक मंचन करके लोगों को जागरुक किया जिसको काफी सराहना मिली।
जागरुकता कार्यक्रम:-
22 फरवरी 2014
कार्यक्रम संक्षेप -
नीम हकीम व झोलाछापों के खिलाफ जागरुकता अभियान के तहत बाल्मीकि विहार पालम के मुख्य चैराहे पर जागरुकता कैंप का आयोजन किया गया। कैंप में लगभग 150 महिलाओं व पुरुषों ने भाग लिया। संस्था के मुख्य प्रवक्ताओं द्वारा लोगों को झोलाछाप डाॅक्टरों से इलाज न करवाने के लिए कहा गया। लोगों को हमेशा सरकार द्वारा पंजीकृत डाॅक्टर, सरकारी डिसपेंसरी, या बडे अस्पताल में ही इलाज करवाने के लिए प्रेरित किया गया। नुक्कड़ नाटक के मंचन द्वारा लोगों को बताया गया कि झोला छाप डाॅक्टर से किस किस प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं। जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा लोगों को दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में बताया गया। उन्होनें लोगों को सरकारी डिसपेंसरियों में इलाज के लिए पेश आ रही समस्याओं पर भी चर्चा की तथा उन समस्याओं का तत्काल समाधान करने का आश्वासन भी दिया।
प्रवक्ताओं द्वारा लोगों को झोला छाप व क्वालिफाइड डाॅक्टर के इलाज में अंतर तथा उनकी पहचान करने के तरीके के बारे में बताया गया।
कुल भागीदार - 150-200
मुख्य प्रवक्ता एवं उनके सम्बोधन का सार
-डाॅ कुलदीप राज
-डाॅ ए के मिश्रा
-एडवोकेट राजेश लाम्बा
-मास्टर हरिओम गुप्ता
-एडिशनल एसएचओ, पुलिस स्टेशन सागरपुर सरकारी अधिकारी
-डाॅ राकेश जिलानी ( एडिशनल सीडीएमओ जिला दक्षिणी पश्चिम )
-डाॅ रमेश चन्द ( सीडीएमओ आॅफिस )
डाॅ कुलदीप राज ( चिकित्सा अधिकारी राजकीय स्वास्थ्य केन्द्र गाजियाबाद )
डाॅ कुलदीप राज जी ने अपने सम्बोधन में मुख्य रुप से इलाज करवाने संबंधी जानकारियाँ व सावधानियों
पर लोगों का बताया। जिनमें:-
-झोलाछाप की पहचान करना
-क्वालिफाइड और अनक्वालिफाइड डाॅक्टर के इलाज में अंतर
-बिना पर्चे के दवाइयाँ न लें
-विज्ञापन आधारित दवाओं से दूर रहें
-दवाओं के साइड इफैक्ट को जानें
-मुख्य रुप से प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों की जानकारियाँ इत्यादि जानकारियाँ देते हुए लोगों को झोलाछाप डाॅक्टरों से किसी भी स्थिति में इलाज न करवाने की अपील की।
डाॅ ए के मिश्रा ( टीबी एवं कुष्ठ रोग नियंत्रण प्रोग्राम, डेमियन फाउंडेषन )
सर्वेक्षण के दौरान बाल्मीकि विहार व इसके आस-पास की छोटी बस्तियों में सफाई व्यवस्था बेहद बदहाल पाई गई। कम्यूनीटि मीटिंग के दौरान लोगों से बातचीत के समय डाॅ0 मिश्रा ने बताया की जिस तरह के वातावरण में वे लोग रह रहे है ऐसे माहौल में टीबी के लक्षण काफी अधिक पाए जाते है। खांसी, बलगम आना जैसी बीमारियाँ ऐसे माहौल में रहने वालों को अकसर पाई जाती है और सही इलाज न मिलने के कारण इनको टीबी होने की संभावना अधिक रहती है। अनक्वालिफाइड डाक्टर्स इनकी पहचान नहीं कर पाते जिसके बाद में गम्भीर परिणाम सामने आते है। उनकी इस सलाह के महत्व को देखते हुए डाॅ मिश्रा जी को विशेषतौर पर पूरे अभियान में प्रवक्ता के तौर निंमत्रण दिया गया जिसको उन्होनें स्वीकार करते हुए पूरे अभियान को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डाॅ0 मिश्रा जी ने लोगों को टीबी के लक्षण, बचाव व इलाज के बारे में विस्तार से जानकारियाँ दी और बताया कि किस प्रकार से छोटी-छोटी बिमारियाँ लापरवाही और गलत इलाज के कारण गंभीर रुप धारण कर लेती है।
एडवोकेट राजेश लाम्बा
राजेश लाम्बा जी ने बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा झोलाछाप के इलाज से हुई मौत के मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया गया है कि सभी चिकित्सकों को अपने क्लीनिक के बाहर चिकित्सा पद्वति के अनुसार सम्बंधित विभाग द्वारा जारी की गयी पंजीकरण संख्या लिखिनी अनिवार्य है। इसके बाद कोई भी व्यक्ति आसानी से झोलाछापों की पहचान कर सकता है। उन्होने झोलाछापों द्वारा गैर कानूनी रुप से किए जा रहे इलाज सम्बंधी कानूनी जानकारियाँ दी।
मास्टर हरिओम गुप्ता (रिटायर्ड लेक्चरार, शिक्षा विभाग दिल्ली सरकार)
मास्टर हरिओम गुप्ता जी ने झोलाछापों पर लगाम लगाने के लिए सरकारी तौर पर कड़े कानून और नियम बनाने की बात कही। उन्होने झोलाछापों को समाज में एक गंभीर समस्या बताया। उन्होने प्रशिक्षित वैद्य व आर्युवैदिक इलाज और सड़कों पर बैठे हुए नीम हकीमों और शाही दवाखाने, षफाखाने के इलाज के अंतर के बारे में बताते हुए लोगो को झोलाछापों से बचने की सलाह दी।
इंस्पेक्टर सूबे राव (अतिरिक्त एसएचओ, पुलिस थाना सागर पुर)
इंस्पेक्टर सूबे राव ने झोलाछापों के इलाज से हुई दुर्घटना के बाद परिवार को होने वाली परेशानियों के बारे में बताया। उन्होनें कहा कि दिल्ली पुलिस को झोलाछापों के सम्बंध में मिले आदेश के बाद पुलिस भी अपने स्तर पर इनकी पहचान के लिए प्रयास कर रही है। लेकिन इसमें लोगों की भागीदारी आवशयक है। अपने परिवार और अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए आपको भी सजग रहना होना। अगर आपको किसी झोलाछाप की खबर लगती है तो दिल्ली पुलिस के कंट्रोल न0 100 पर इसकी सूचना दें या थाने में हमसे संपर्क करें। उन्होने संस्था और दिल्ली हैल्थ सर्विस द्वारा आयोजित कार्यक्रम की काफी सराहना करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम से लोगों में जागरुकता आएगी और हमें भी लोगों का सहयोग लेने में आसानी रहेगी।
डाॅ0 राकेश जिलानी (अतिरिक्त मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी)
डाॅ0 जिलानी ने दिल्ली हैल्थ सर्विसिज की एंटी क्वैकरी सैल व संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे झोलाछापों के खिलाफ अभियान और झोलाछापों के खिलाफ की जा रही कार्यवाही के बारे में लोगों को बताया। उन्होनें लोगों को बताया कि किस प्रकार से झोलाछाप और गैर पंजीकृत चिकित्सक समाज के लिए गंभीर समस्या बनते हैं। उनके इलाज से न केवल लेागों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहे है बल्कि उनके द्वारा किए गए गलत और अधूरे इलाज से बढ़ते खर्चो से लोगों का आर्थिक शोषण भी हो रहा है। आप सोचते है कि इलाज सस्ता हुआ है लेकिन बाद में स्वास्थ्य पर पड़े गलत प्रभाव से जब बीमारी बढ़ जाती है तो उसके इजाल में हजारों रुपए खर्च होते हैं। उन्होनें कहा कि झोलाछापो का पता चलते ही दिल्ली पुलिस, संस्था या जिला स्वास्थ्य अधिकारी या दिल्ली हैल्थ सर्विस को तुरंत सूचित करें। इस समस्या पर जनभागीदारी से ही काबू पाया जा सकता है। 
उन्होनें सरकारी डिस्पेंसरी में इलाज के लिए लोगों को आ रही दिक्कतों पर काफी विस्तार से चर्चा की तथा लोगों द्वारा बताई गई समस्याओं का उचित हल करने का आश्वासन भी दिया।
डाॅ रमेश चन्द ( चिकित्सा अधिकारी दिल्ली हेल्थ सर्विसिज )
डाॅ रमेश चन्द जी ने लोगों को संदेश दिया कि अपने परिवार के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न करे ,इलाज हमेशा क्वालिफाइड डाॅक्टर, सरकारी डिस्पेंसरी या बडे़ अस्पताल में ही कराएं। उन्होनें लोगों को झोलाछाप डाॅक्टरों से इलाज न करवाने की शपथ भी दिलवाई।
कार्यक्रम उद्घाटन सम्बोधन ( नरेश लाम्बा अध्यक्ष )
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए संस्था अध्यक्ष नरेश लाम्बा जी ने दिल्ली हेल्थ सर्विसिज दिल्ली सरकार के अनुदान से संस्था द्वारा चलाए जा रहे नीम हकीम एवं झोलाछाप के खिलाफ जागरुकता अभियान के बारे में विस्तार से बताया तथा ये झोलाछाप किस प्रकार से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रहे हैं और कैसे इनके इलाज से लोगों का आर्थिक शोषण हो रहा है विषय पर चर्चा की। संस्था अध्यक्ष ने लोगों को किसी भी स्थिति में झोलाछापों से इलाज न करवाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न करें, इलाज हमेंशा क्वालिफाइड डाक्टर, सरकारी डिस्पेंसरी या बड़े अस्पताल में ही कराए।
कार्यक्रम प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया 
कार्यक्रम के दौरान भागीदारों से कार्यक्रम के बारे में प्रतिक्रियाएँ ली गई। कार्यक्रम के आयोजन को काफी सराहना मिली। झोलाछापों के खिलाफ सरकारी स्तर पर विशेष कार्यवाही न होने और सरकारी डिस्पेंसरियों में पूरी सुविधाएँ न होना भी लोगों ने एक मुख्य समस्या बताया। लोगो से ली गई प्रतिक्रियाओं का सार इस प्रकार है-
-कार्यक्रम के आयोजन से आपको/समाज को क्या संदेश मिला?
प्रतिक्रिया-लोगों ने कार्यक्रम के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि कार्यक्रम काफी शिक्षाप्रद रहा है हमारा प्रयास रहेगा कि झोलाछापों से इलाज न कराएं।
-क्या इस क्षेत्र/अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन/विस्तार करना चाहिए और क्यों?
प्रतिक्रिया- लोगों ने बताया कि उनकी कालोनी में पहली बार इस प्रकार के जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस प्रकार के कार्यक्रम होते रहने चाहिए। इस कार्यक्रम से उनको काफी जानकारी प्राप्त हुई है। कई लोगो को तो झोलाछाप डाॅक्टर का अर्थ भी नहीं पता था। उन्होनें बताया कि इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर होते रहने चाहिए इनसे काफी जागरुकता आती है।
-कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण भाग कौन सा रहा?
प्रतिक्रिया- इस पर लोगों की अलग-अलग राय मिली। जिसमें सबसे अधिक अतिरिक्त जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा लोगों से सरकारी डिस्पेंसरी में इलाज के लिए जाने पर पेश आ रही समस्याओं पर चर्चा करने को सबसे ज्यादा सराहा। डाॅ0 कुलदीप राज द्वारा क्वालिफाइड व अनक्वालिफाइड डाॅक्टर के इलाज के अंतर और डाॅ0 एके मिश्रा द्वारा दी गई जानकारी कि किस प्रकार से छोटी-छोटी बीमारियाँ गलत इलाज के कारण गंभीर रुप धारण कर लेती है, को लोगो ने बहुत महत्वपूर्ण बताया। साथ ही नुक्कड़ नाटक के कलाकारों द्वारा की गई प्रस्तुति को लोगों ने जागरुकता के लिए काफी बेहतर बताया।
-कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर आप क्या कदम उठाऐंगें?
प्रतिक्रिया- कार्यक्रम भागीदारों ने कहा कि वे हर सम्भव प्रयास करेंगें कि झोलाछापों के पास इलाज के लिए न जाएंगें और न ही छोटी-छोटी बीमारियों की अनदेखी करेंगें। 
-क्या कार्यक्रम के आयोजन में कोई कमी रही?
प्रतिक्रिया- ज्यादातर लोगों ने कार्यक्रम की सराहना की। कुछ भागीदारों ने कहा कि कार्यक्रम में क्षेत्र के क्वालिफाइड डाक्टरों को भी आमंत्रित करना चाहिए था। ताकी लोगों को क्षेत्र के क्वालिफाइड डाॅक्टर्स का पता चल सकें। संस्था अध्यक्ष ने लोगों को बताया कि संस्था द्वारा लगभग 15 डाॅक्टर्स से संपर्क किया गया था। लेकिन सभी ने समय न होने की बात कहकर कार्यक्रम में आने से मना कर दिया। कुछ ने कार्यक्रम में रुची ही नहीं दिखाई। क्षेत्र के एक डाॅक्टर जिसकी अपनी लैब भी है जहाँ कई प्रकार की जाँच की जाती है, के बारे बताते हुए संस्था अध्यक्ष ने बताया कि एक डाॅक्टर ने कहा कि अगर झोलाछाप नहीं होंगें तो उनकी दुकानदारी कैसे चलेगी। अध्यक्ष जी ने उसकी प्रतिक्रिया पर अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि इस तरह की सोच रखने वाले चिकित्सक ही समाज की असली समस्या है जिन्होनें चिकित्सा के पेशे को व्यवसाय बना रखा है।
-क्या आप संस्था/संबंधित विभाग को कोई संदेश देना चाहते है?
प्रतिक्रिया- लोगों ने कहा कि इसप्रकार के कार्यक्रमों का ज्यादा से ज्यादा विस्तार करना चाहिए और क्षेत्र की सरकारी डिस्पेंसरियों के डाॅक्टर्स व प्राइवेट डाॅक्टर्स को समय-समय पर ऐसे कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जानकारियाँ देनी चाहिए। सरकारी डिस्पेंसरियों में केवल साधारण बीमारियों के इलाज की ही सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा महिला एवं बाल चिकित्सक जैसे विशेषज्ञों की भी सप्ताह में एक दो बार सेवाएं सरकारी डिस्पेंसरियों में होनी चाहिए। डिस्पेंसरियों का समय दोपहर दो बजे तक का ही होता है। लेकिन ज्यादातर लोग इलाज के लिए शाम के समय डाॅक्टर्स के पास जाते है इनका समय शाम 7 बजे तक होना चाहिए।
-झोलाछापों की समाज में बढ़ती सक्रियता एवं संख्या के मुख्य कारण क्या है?
प्रतिक्रिया-
-सरकारी डिसपेंसरियों की कमी।
-इनमें इलाज के लिए जाने पर होने वाली दिक्कतें।
-इनका समय केवल दोपहर तक ही होना। जबकी अधिकांश लोग शाम को काम से लौटने पर ही इलाज के लिए जाते है।
-क्वालिफाइड डाॅक्टर्स की फीस बहुत महंगी होना।
-छोटी कालोनियों में क्वालिफाइड डाॅक्टर्स की कमी।
-झोलाछापों पर सरकारी स्तर पर कड़ी कार्यवाही न होना।
-झोलाछापों द्वारा लोगों के साथ बेहतर तालमेल बना लेना।
-झोलाछापों की सेवाएं घर के नजदीक और सस्ती होना।
-बड़े प्राइवेट अस्पतालों द्वारा छोटी-छोटी बीमारियों के लिए महंगे टैस्ट करवाना और फीस ज्यादा होना।
-लोगों में जागरुकता का अभाव।
-झोलाछापों पर किस तरह से रोक लगाई जा सकती हैं ?
प्रतिक्रिया
-सरकारी डिस्पेंसरियों की संख्या बढ़ाकर।
-सरकारी डिस्पेसरियों का समय बढ़ाकर।
-सरकारी डिस्पेंसरियों में चिकित्सा सेवाओं का विस्तार करके।
-बड़े प्राइवेट अस्पतालों की फीस और बेफिजूल के टैस्टों पर सरकारी लगाम लगाकर। कमजोर वर्ग के लोगों को इलाज में रियायत देने के लिए प्रेरित करके।
-झोलाछापों पर पूरी तरह से कड़ाई से सरकारी प्रतिबंध लगाकर।
-क्वालिफाइड डाॅक्टर्स को छोटी कालोनियों में अपनी सेवाएं देने के लिए प्रेरित करके।
-जागरुकता और शिक्षाप्रद कार्यक्रमों का विस्तार करके।
कार्यक्रम का समग्र निष्कर्ष
संस्था द्वारा कार्यक्रम आयोजन के लिए चुना गया क्षेत्र जिसमें वाल्मीकि विहार, पालम, मंगलापुरी, आस-पास की छोटी बस्तियाँ जिनमें अधिकांष निम्न मध्यम वर्ग और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के परिवार निवास करते है, जागरुकता कार्यक्रमों के आयोजन के लिए ऐसे क्षेत्र काफी जटिल होते है। परिवार के स्त्री-पुरुष दोनो कामकाजी होने और इनका शिक्षा का निम्न स्तर, समय का अभाव, सामाजिक कार्यो तथा कार्यक्रमों में रुचि न होना आदि कारणों से कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए संस्था को काफी मेहनत करनी पड़ी।
संस्था के सर्वे और फील्ड वर्कर्स की रिपोर्ट के अनुसार वाल्मीकि विहार व इसके आस-पास 4-5 छोटी बस्तियाँ है। बिमार होने के दौरान ये लोग अपने आस-पास सक्रिय झोला छापों के पास इलाज के लिए जाते है या सरकारी डिस्पेंसरी में इलाज करवाते। सरकारी डिस्पेंसरी में जाने पर काफी समय खर्च होता है और परिवार के अन्य व्यक्ति को काम से अवकाश लेना पड़ता है क्योंकि सरकारी डिस्पेंसरी का समय दोपहर 2 बजे तक ही होता है। केवल शाम के समय ही इलाज के लिए जाने के कारण ये लोग आस-पास ही इलाज करवाने के लिए बाध्य है। इस क्षेत्र में काफी बड़े-बड़े प्राईवेट अस्पताल व नर्सिंग होम खुले हुए है लेकिन उनमें इलाज मंहगा होने के कारण ये लोग उनकी फीस देने में असमर्थ है।
फील्ड वर्कर्स की मेहनत, क्म्यूनिटी मीटिंग्स व संस्था के जनसम्पर्क के कारण कार्यक्रम के आयोजन को काफी प्रचार मिला। लगभग 250 लोगो ने कार्यक्रम में भाग लिया तथा लगभग 10,000 लोगों तक संस्था कार्यक्रम का संदेश पहुँचाने में सफल रही। कार्यक्रम के आयोजन को लोगों ने काफी सराहा तथा इस विषय पर जागरुकता के लिए अन्य कार्यक्रम और झोलाछापों पर कठोर कार्यवाही के लिए भी लोगों ने कहा। 
ज्यादातर लोगों ने झोला छापों के पास जाने की बात स्वीकारी और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव और प्राईवेट चिकित्सकों की महंगी फीस के कारण इनके पास जाने की मजबूरी भी बताई। महिलाओं के अनुसार सरकारी डिस्पेंसरियों में महिला व बाल विशेषज्ञ का न होना और सरकारी अस्पताल दूर होने, उनमें भीड़ होने के कारण इलाज में पेश आ रही दिक्कतों को विशेष तौर पर बताया।
कार्यक्रम में अतिरिक्त जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी का उपस्थित रहना और लोगों से बातचीत करना काफी उत्साहवर्द्धक रहा। इसमें लोगों ने काफी रुचि दिखाई।
संस्था के सुझाव
कार्यक्रम में प्राप्त हुई लोगों की प्रतिक्रिया व संस्था के अनुभव से इस क्षेत्र में झोला छापों पर अंकुश लगाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने आवशयक है-
दिल्ली हैल्थ सर्विस, दिल्ली सरकार के लिए
-सरकारी डिस्पेंसरियों में महिला एवं बाल चिकित्सकों की नियुक्ति
-सरकारी डिस्पेंसरियों का समय षाम 7.00 बजे तक किया जाए
-मोबाईल चिकित्सा वैन की संख्या बढ़ाई जाए
-क्षेत्र के सरकारी अस्पताल द्वारा समय-समय पर क्षेत्र में हैल्थ कैंप लगाए जाए
-जिला चिकित्सा अधिकारियों द्वारा जनसम्पर्क बढ़ाया जाए
-जागरुकता कार्यक्रमों को लगातार चला कर इनका विस्तार किया जाए
-क्षेत्र में सेवाएं दे रहे प्राईवेट अस्पतालों व चिकित्सकों को कमजोर वर्ग से कम शुल्क लेने के लिए या निशुल्क चिकित्सा सलाह देने के लिए प्रेरित करके
-सभी पद्वतियों के झोलाछापों को एक ही विभाग के अंर्तगत लाकर कार्यवाही करे
-झोलाछापों के खिलाफ कड़े नियम बनाए जाए
-सभी क्लीनिकों के बाहर पंजीकरण नम्बर लिखने की अनिवार्यता को कड़ाई से लागू किया जाए
झोलाछापों के खिलाफ सक्रिय संस्थाओं के लिए
-झोलाछाप के खिलाफ अन्य संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे अभियानों में सक्रिय रुप से भाग ले
-अपने कार्य क्षेत्र में लोगो को विशेष तौर पर क्षेत्रिय आरडब्ल्यूए व अन्य सामाजिक संगठनों के साथ तालमेल करके उनको सम्पर्क नम्बर इत्यादि उपलब्ध कराए।
-समय-समय पर जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन करें
-अनिवार्य रुप से सर्वे कराएं और झोलाछापों की सूचना सम्बंधित विभाग को दें
दिल्ली पुलिस के लिए
-सभी पुलिस थानों में अनिवार्य रुप से एंटी क्वैक्री अधिकारी की नियुक्ति की जाए
-बीट अधिकारी समय-समय पर झोलाछापों से सम्बंधित रिपोर्ट थाने व जिला चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को अनिवार्य रुप से दें
-झोलाछापों की सक्रियता पाए जाने पर और सूचना नहीं दिए जाने की स्थिति में बीट अधिकारी और थाना लेवल के एंटी क्वैक्री अधिकारी पर कड़ी कार्यवाही की जाए
संस्था झोलाछापों के खिलाफ दिल्ली सरकार के द्वारा चलाए जा रहे अभियान में सक्रिय रुप से भाग लेने के लिए सक्षम है। संस्था का मानना है किसी भी सामाजिक बुराई को केवल शिक्षा और जागरुकता के द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है।
Naresh Lamba
President
Social Development Welfare Society

Thursday, November 15, 2012

Legal awareness camp on Reproductive Health Rights Foeticide, Infanticide, PC & PNDT Act 1994, The Medical Termination of Pregnancy ACT.

Legal Awareness Camp

A two days awareness seminar was organized by Social Development Welfare Society (SDWS) in association with the National Women Commission recently at Sector 7, Palam Extension.
In the event, speakers from various fields shared their thoughts and vision to the community people on the occasion. 
 The programme was inaugurated by the pradhan of 360 villages, Chaudhry Kishan Solanki. Among the dignitaries' who spoke on the subject of female foeticide, dowry, equality of women in the society etc. Among the leading speakers were Charu  Walikhanna, member  secretary National Commission for Women, zile singh, ACP, PG Cell Delhi police , Dr KS Bhati, Sr Advocate Supreme Court, SHO Dwarka South Suman Pushkarna, Paroma Bhattacharya, senior journalist from 
 Dainik Jagran Citytplus and many other were present. Women of the community too, expressed their feeling and appealed to the society to give proper importance to female and let them feel equal with the male.

President of SDWS, Naresh Lamba said, "The event was held to sensitize the society about the subject of female foeticide and spread the awareness in the community.”

Monday, September 17, 2012

Bhagidari, Govt. of NCT of Delhi भूख मुक्त दिल्ली अभियान


Bhagidari, Govt. of NCT of Delhi

भूख मुक्त दिल्ली अभियान के तहत इंटर ग्लोब होटल्स एन एच ८ दुवारा दिल्ली सरकार कि भागीदारी से आपकी रसोई योजना के दुवारा महिपाल पुर रेड लाइट पर दिल्ली के 13 वे संटर का माननीया मिख्य मंत्री जी दुवारा  उदघाटन किया. इस सेंटर पर हर रोज दोपहर 12 .00 बजे से 1.00 बजे तक निरक्षित लोगो को मुफ्त खाना दिया जायेगा. 






इस अवसर पर मुख्य मंत्री जी व श्रीमती किरण वालिया जी ने गरीब बच्चो को आपने हाथो से खाना खिलाया. भागीदारी कोर कमेटी के  सदस्य श्री नरेश लाम्बा जी ने गरीब बच्चो  (महिपाल पुर चौराहे पर निराश्रित बच्चो तथा निम्बू मिर्च इत्यादि बेचने वाले बच्चे) के  साथ मुख्य मंत्री जी का फूलों के गुलदस्ते से स्वागत किया. 





मुख्य मंत्री जी उन बच्चो से पूछा के वे स्कूल जाते हैं या नहीं तो बच्चो ने स्कूल का ज्ञान होने से ही मना किया. मुख्य मंत्री जी उनके साथ अन्य  निराश्रित ओरतो से कहा कि इन बच्चो को स्कूल भेजा करो दिल्ली में स्कूल में मुफ्त पढाई के साथ साथ इन बच्चो के लिए खाना और अन्य सुविधाए भी दी जाती हैं.





भागीदारी अधीक्षक श्री मुजफ्फर इम्तियाज साहब का क्षेत्र में पधारने के लिए श्री लाम्बा जी ने और  गाँव शाहाबाद मोहम्मद पुर  कि तरफ से श्री ओम प्रकाश सोलंकी जी मुख्यमंत्री जी का स्वागत किया.














main persons:
1. Hon'ble CM Smt Shiela Dixit Ji
2. Proff. Kiran Walia ji, Hon'ble minister
3. Hon'ble Dy. Commissioner Shri Vikas Anand
4. Shri Alok Sharma Hon'ble SDM Vasant Vihar
5. Shri Krishna Mohan Hon'ble SDM Najafgarh
6. Shri Kulanand Joshi Hon'ble Adl. Sec. CM bhagidari
7. Shri Manoj Jain Hon'ble Dy. Eec. to CM Bhagidari
8. Shri Mujjaffar Imtiaz Hon'ble Supdt. Bhagidari
9. Shri Naresh Lamba, Member core committee, Bhagidari Distt. S/W