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Thursday, September 19, 2024

Kua Dham Bagar | kuan Dham | कुआं धाम बगड़

 Kua Dham Bagar | kuan Dham Bagar | कुआं धाम बगड़ |Dharm Yatri 


कुआं धाम के नाम से प्रसिद्ध यह धाम राजस्थान के प्रमुख पूजनीय देवता श्री पाबू पाल जी महाराज का देव स्थान है। धाम के संस्थापक श्री मलसिंह जी महाराज एक तपस्वी संत है। मलसिंह जी शेखावत ने पाबूपाल जी की तपस्या की ओर सिद्धियां प्राप्त की। गुरु मलसिंह जी के कठोर जप और तप से सञ्चित कुआ धामकुआ धामबगड़, श्री पाबूजी महाराज की धामो में से एक धाम है। 
कुआ धाम, बगड़, श्री पाबूजी महाराज की धामो में से एक धाम है। इसे पाबू धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह धाम भारत के राजस्थान राज्य के झुंझुनूं जिले के बगड़ कसबे में स्थित है ।
यह एक धर्म धाम है  जो भी यहाँ सच्ची लग्न से आता है और महाराज जी के आदेशानुसार चलता है उसे शत प्रतिशत फायदा मिलता है





Kua Dham Ke Niyam ! कुआ धाम के नियम

** धाम पर मेला हर महीने चांदनी दसवीं से पूर्णमासी तक होता है 

** गंभीर रोगी कभी भी धाम पर जा सकता है 

** धाम पर यात्री कण बांधे, भभूत ले माँ झड़ी ज्वाला की फेरी लगाए, भगवान की ज्योत देखे 

** जो यात्री पहली बार धाम पर आये वह भगवान की ज्योत देखे उसे 4 -5 ज्योत देखने से कुछ फायदा लगे तो ही आगे आये नहीं तो तो अपना इलाज कही और कराये 

** धाम पर बैठ कर भगवानके भजन करे 

** गन्दा खाना शराब मीट मच्छी आदि का सेवन न करे 

** झूठ चुगली आदि छोड़ दे 

** धाम में मर्यादा से रहे 

** साल के चार नवरात्रे और भादो माह की नवमी को पाबूजी महाराज के जन्मदिन पर यात्री धाम पर जरूर आये 

** कोई भी यात्री भूखा न रहे पैसे आदि नहीं है तो धाम की तरफ से निःशुल्क भोजन ले 

** धाम पर कोई चढ़ावा नहीं है देने के लिए कण भभूत और लेने के लिए श्रद्धा भाव व वभाजन है 

** धाम पर चोरी चाकरी न करे 

** साफ़ सफाई का ध्यान रखे 

Kua Dham Bagar | kuan Dham Bagar | Kuan Dham Bagar

This Dham, famous as Kuan Dham, is the place of worship of Shri Pabu Pal Ji Maharaj, the main revered deity of Rajasthan. The founder of the Dham, Shri Mal Singh Ji Maharaj is an ascetic saint. Mal Singh Ji Shekhawat attained siddhis through the penance of Pabu Pal Ji. Kua Dham is enriched with the rigorous chanting and penance of Guru Mal Singh Ji. Kua Dham, Bagar, is one of the Dhams of Shri Pabu Ji Maharaj.

Kua Dham, Bagar, is one of the Dhams of Shri Pabu Ji Maharaj. It is also known as Pabu Dham. This Dham is located in Bagar town of Jhunjhunu district of Rajasthan state of India.

This is a religious Dham. Whoever comes here with true devotion and follows the orders of Maharaj Ji, gets 100 percent benefit.

Kua Dham Ke Niyam! Rules of Kua Dham

** Fair is held at the Dham every month from Chandni Dasami to Poornamasi

** Seriously ill can visit the Dham anytime

** At the Dham, the pilgrim should tie a particle, take bhabhut and take a round of Maa Jhadi Jwala, see the flame of God

** The pilgrim who comes to the Dham for the first time should see the flame of God. If he gets some benefit from seeing 4-5 flames, then only he should come forward, otherwise he should get his treatment done somewhere else

** Sit at the Dham and sing bhajans of God

** Do not consume dirty food, alcohol, meat, fish etc.

** Give up lying, gossiping etc.

** Behave with dignity in the Dham

** On the four Navratras of the year and on the birthday of Pabuji Maharaj in the month of Bhado, the pilgrim must visit the Dham

** No pilgrim should remain hungry, if there is no money etc. then take free food from the Dham

** There is no offering at the Dham, there is only particle bhabhut to give and devotion and division to take

** Do not steal or do any service at the Dham ** Take care of cleanliness

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* kuan dham kahan hai
kuan dham bagar rajasthan ke jhunjhnu jile ke bagar gaon me hai.
* kua dham by bus
kua dham ke najdiki bus stand bagar ka padta hai. Delhi, Rohtak, Jhajhar, Charkhi Dadri, Loharu, Sikar, Jaipur aadi se bus service hai
* kua dham by train
Kuan Dham ke najdik railway station Ratan Shahar 5km door hai. jo Delhi Loharu Jaipur Rail Marg par padta hai.
* delhi to kua dham yatra by road
* kua dham nearest railway station
Ratan Shahar


* kua dham ki arti


पाबू जी की आरती ! Pabu ji ki aarti

 जय लक्ष्मण देवा , स्वामी जय लक्ष्मण देवा।
श्री पाबुपाल जी री करा आरती , सत सारु सेवा ।।  ..
कुम्भ कलश गंगाजल ल्यावे , ध्यान स्नान करो 
पुष्प माल पहरो गल माही , मस्तक पाग धरो ।।  ..
अंग अंगरखी वस्त्र सोहे , केशरिया बागो 
कर में कमल कटारी , संग में भालो थे राखो ।।  ..
कोलूमंड में चढ़े पालजी , केशर असवारी 
झोपड़ा धाम पर आज विराज्या , श्री पाबूजी तपधारी ।।  ..
झालर शंख नगाड़ा बाजे , शोभा अति भारी 
झोपड़ा धाम पर नोपत बाजे , मन्दिर मझधारी ।।  ..
गूगल धूप देवालय खेवां , गऊ घृत धारा 
नारियल डोडा लूंग सुपारी , उज्जवल फल सारा ।।  ..
दास करे अरदास हाजरी , मेरी लिख लिज्यो 
थारे चरणां में राखो नाथ , म्हारी लज्जा रख लिज्यो ।।  ..
चाकर राखों चरण कमल रो , रोज करूं पूजा 
आप ही मात पिता मेरे स्वामी , और नहीं दूजा ।।  ..
जो नर धयावे गावे आरती , पावे फल मेवा 
मलूसिंह कहे भव से तारों , नैया के खेवां ।।
भीमसिंह कहे  भव से तारों , नैया के खेवां ।।  ..

माँ झड़ी ज्वाला की आरती ! maa jhadi jwala ji ki arti

ॐ जय झाड़ी ज्वाला , मैया जय झाड़ी ज्वाला ।
भक्तजनों की रक्षा करिये , करिये प्रतिपाला ।। ॐ ..
जग मग ज्योत आरती होती , झालर झनकारा ।
साज बात रंग राग छतिसो , जय जय जयकारा ।। ॐ ..
जरीक सबसे रेशमी है साड़ी , अंगिया अंग सोहे ।
रूप अनूप महिमा शक्तियां , तीन लोक मोहे ।। ॐ ..
हार श्रृंगार गलसरी है गल में , कर कंगन वाली ।
पायल बिछिया पग में धारना , माँ नथ बेसर वाली ।। ॐ ..
शेर सवारी चढ़ी जगदम्बा , खड्ग खपरधारी ।
दानव दुष्ट दले पलमाही , भक्तन हितकारी ।। ॐ ..
जब जब भीड़ पड़ी भक्तन पर , माई न याद करी ।
ऋषि मुनि संत माँ , पल पल में आन करी ।। ॐ ..
आदि जुगादी महिमा शाली , तु गौरी काली ।
निराकार साकार भवानी , सबसे है आली ।। ॐ ..
ब्रह्मा विष्णु महेश मनावे , सब ऋषि मुनि ध्यावे ।
आदि अन्त का पार नहीं तेरा , चारो वेद गावे ।। ॐ ..
मलूसिंह थारी गावे आरती , अज्ञानी बाला ।
भीमसिंह थारी गावे आरती , अज्ञानी बाला ।
घट के पट दे खोल भवानी , करदे उजियाला ।। ॐ ..

प्रार्थना श्री रूपनाथ जी महाराज

केसर कुदाई कुण्डिये , माथे जसरो मोर 
भीड़ पड्यां सहाय करे , श्री रणबाप राठौर ।।
केसर घोड़ी कालवी , मोतिया जड़ी लगाम 
चढ़ भाल्याला निसरा , थाने दुनिया करे प्रणाम 
बोली चाल कनोज की , तन केसरिया साथ 
चढवा  घोड़ी कालवी , जय श्री पाबूजी महाराज ।।
आवड़ दुहि भाटिया , कानेरी गोड़ास 
श्री बरवड़ सिसोदिया , श्री करणी राठौर ।।

Wednesday, January 15, 2020

ॐ नमः शिवाय Om Namah Shivaya

गुरुर ब्रम्हा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वराय
गुरुर साक्षात पर ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः
“ॐ नम: शिवाय” वह मूल मंत्र है, जिसे कई सभ्यताओं में महामंत्र माना गया है। इस मंत्र का अभ्यास विभिन्न
आयामों में किया जा सकता है। इन्हें पंचाक्षर कहा गया है, इसमें पांच मंत्र हैं। ये पंचाक्षर प्रकृति में मौजूद पांच तत्वों के प्रतीक हैं और शरीर के पांच मुख्य केंद्रों के भी प्रतीक हैं। इन पंचाक्षरों से इन पांच केंद्रों को जाग्रत किया जा सकता है। ये पूरे तंत्र (सिस्टम) के शुद्धीकरण के लिए बहुत शक्तिशाली माध्यम हैं।
ॐ नमः शिवाय का उच्चारण करने का सही तरीका
सद्‌गुरु : ॐ ध्वनि का उच्चारण ओम के रूप में नहीं करना चाहिए। इसे उच्चारित करने का तरीका है, अपना मुंह खोलकर आSS बोलना, और जब आप धीरे-धीरे अपना मुंह बंद करते हैं, तो ये ऊ और म बन जाता है। ये स्वाभविक रूप से होता है। ये आप खुद नहीं करते। अगर आप बस अपना मुंह खोलकर सांस बाहर छोड़ें, तो ये आSS बन जाएगा। जैसे-जैसे आप मुंह बंद करेंगे, ये धीरे-धीरे उउऊ बनेगा और मुंह बंद होने पर म्म्म बन जाएगा। आSSउउऊम्म्म को अस्तित्व के बुनियादी ध्वनियों के रूप में जाना जाता है। अगर आप ये तीनों ध्वनियाँ एक साथ बोलें, तो आपको क्या मिलेगा? इसलिए हम कहते हैं कि आऊम सबसे बुनियादी मन्त्र है। तो इस मन्त्र को “ओम नमः शिवाय” के रूप में उच्चारित नहीं करना है, इसे “आऊम नमः शिवाय” के रूप में उच्चारित करना है।
पूरी जागरूकता के साथ किसी मंत्र को बार-बार दुहराना दुनिया के अधिकतर आध्यात्मिक मार्गों की शुरुआती साधना रही है। अधिकतर लोग मंत्र का इस्तेमाल किए बिना अपने भीतर ऊर्जा के सही स्तर तक ऊपर उठने में असमर्थ होते हैं। मैंने पाया है कि नब्बे फीसदी लोगों को खुद को सक्रिय करने के लिए हमेशा मंत्र की जरूरत पड़ती है। उसके बिना, वे अपनी ऊर्जा कायम नहीं रख पाते।
मंत्र का अर्थ
नमः शिवाय का अर्थ "भगवान शिव को नमस्कार" या "उस मंगलकारी को प्रणाम!" है।
सिद्ध शैव और शैव सिद्धांत परंपरा जो शैव संप्रदाय का हिस्सा है, उनमें नमः शिवाय को भगवान शिव के पंच तत्त्व बोध और उनकी पाँच तत्वों पर सार्वभौमिक एकता को दर्शाता मानते हैं :
"न" ध्वनि पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है
"मः" ध्वनि पानी का प्रतिनिधित्व करता है।
"शि" ध्वनि आग का प्रतिनिधित्व करता है।
"वा" ध्वनि प्राणिक हवा का प्रतिनिधित्व करता है।
"य" ध्वनि आकाश का प्रतिनिधित्व करता है।
इसका कुल अर्थ है कि "सार्वभौमिक चेतना एक है"।

Saturday, January 4, 2020

Delhi Election 2019 Bijwasan Vidhansabha

मौजूदा हालात - वर्तमान स्थिति        4 जनवरी 2019 
नरेश लाम्बा 
गांव शाहाबाद मोहम्मद पुर 
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संभावित उम्मीदवार
बीजेपी 
सतप्रकाश राणा
भूपेंदर गुप्ता  
कांग्रेस 
विजय लोचव 
प्रवीण राणा 
आम आदमी पार्टी 
कोई नहीं 
-----------
दावेदारी पर लोगो के विचार 
देखा जाये तो पूर्व विधायक सतप्रकाश राणा को ग्रामीण लोग ज्यादा मजबूत दावेदार मान रहे है लेकिन इसके साथ साथ राणा साहब की दावेदारी पर उनके विधायक के कार्यकाल और लोगो के साथ पिछले ५ साल कटे रहने और कार्यशैली, व्यवहार के प्रति भी नाराजगी है। गांव में बीजेपी या राणा साहब का कोई सर्वमान्य कार्यकर्ता या प्रतिनिधि नहीं है। 1993 से लेकर अब तक का राणा साहब का इस क्षेत्र में राजनीति का लम्बा सफर रहा है। गांव के लोगो में उनके प्रति हमेशा अपनेपन की भावना रखी है 2015 के चुनाव छोड़ दे तो प्रत्येक चुनाव में राणा साहब को गांव से सबसे अधिक वोट मिलते रहे है। लेकिन अब हालत बदल चुके है गांव में एक दो लोगो को प्राथमिकता देते रहने, कुछ मोहल्लो को ही तवज्जो देने, इनके कार्यकर्ताओं द्वारा गांव के विकास कार्यो के प्रति निहित न रहना, आदी कारणों से राणा साहब का रुतबा अब सिमट रहा है।
 
मानना है की अगर कांग्रेस की और से प्रवीण राणा जो एक युवा और साफ़ सुथरी मिलनसार छवि के जनप्रिय नेता है को उम्मीदवार बनाती है तो सतप्रकाश राणा को तगड़ी प्रतिस्पर्धा मिलेगी । प्रवीण राणा वर्तमान निगम पार्षद है और साउथ दिल्ली नगर निगम के पूर्व मेयर रह चुके है। इनका राजनगर कॉलोनी में भी बेहतर प्रभाव है ये सतप्रकाश राणा के गांव से ही है। प्रवीण राणा अपने निगम क्षेत्र के बाहर भी लोगो के साथ मिलनसार संबंध बनाने में कामयाब रहे है। अपने राजनीति के कार्यकाल में इन्होने अपनी कार्यशैली से लोगो के बीच जल्द ही कामयाब और लोकप्रिय नेता का मुकाम हसिलकिया है जिसके ये हक़दार भी है। 
 
वही दूसरी तरफ पूर्व विधायक विजय लोचव कभी भी क्षेत्र में अपना राजनितिक प्रभाव नहीं छोड़ पाए और गांव में चर्चा भी है की वे इसबार उम्मीदवारी के दावेदारो में नहीं माने जा रहे है।  
    बीजेपी में भूपेंदर गुप्ता जो की राज नगर कॉलोनी के निवासी है। वर्तमान निगम पार्षद है और साउथ दिल्ली नगर निगम में कई कमेटियों में महत्वपूर्ण पदों रह चुके है। गुप्ता जी की राजनगर में कार्यकर्ताओं पर अच्छी पकड़ है पार्षद रहते हुए इन्होने लोगो के बीच निरंतर रहते हुए बीजेपी के मजबूत नेता की छवि बनाये रखने में सफल रहे है।  गुप्ता जी की चर्चा गांव में भी मजबूत दावेदारों में हो रही है। 
 
गुप्ता जी अगर उम्मीदवारी लेने में सफल रहते है और दूसरी तरफ प्रवीण राणा उम्मीदवार बनते है तो वर्तमान में प्रवीण राणा का ही पलड़ा भरी माना जा रहा है।  कारण भूपेंदर गुप्ता का क्षेत्र के गाँवो में ज्यादा परिचय नहीं है। 






अगले लेख में गांव व क्षेत्र की जरूरतों पर ध्यान करेंगे। 
   

Monday, September 9, 2019

Shuttle Cab Service Dwarka - Gurugram

Shuttle Cab Service Dwarka - Gurugram

Shuttle Cab Service
Dwarka - Gurugram
Gurugram - Dwarka
Now go to the office on time and reach home safe.
Late arrival of cabs in early morning shifts, No availability of shuttle buses, getting stuck in unsafe and cramped private vehicles, traffic stress while driving your own vehicle, the hurry to reach home early in the evening, has filled everyone's life with tension and undue stress.
Keeping these various concerns in mind, we have started a comfortable, safe and stress-free shuttle can service for you. It is available at low and affordable rates.
The cabs available are 4 seater, and fully Air Conditioned driven mostly by the vehicle owner itself to ensure the safety of the passengers.
So, leave the worry of commute now, and book your seat with us for a hassle free ride.
Call & Whatsapp Me now
Naresh Kumar
Mb.: 07042162907
Dwarka
Routs Charges and more information

Saturday, April 14, 2018

Uber Driving Experiences उबेर ड्राइवर अनुभव

Uber Driving Experiences
उबेर ड्राइवर अनुभव 

मुझे उबेर में गाड़ी चलाते हुए लगभग एक साल हो गया हैं. मैं अपनी पोस्ट के द्वारा अपना अनुभव आप लोगो तक पहुंचने का प्रयास कर रहा हूँ पाठक किर्प्या पोस्ट पढ़े और एक चालक को बेहतर सेवा देने में अपना सहयोग करे. 
१३ अप्रैल, २०१८ 
राजौरी गार्डन दिल्ली के पास का वाक्या 
मेरे पास एक पूल की बुकिंग आयी. बुकिंग में दो सवारी के लिए सीट बुक थी. मैं लोकेशन पर पहुंचा तो वह केवल एक लड़की मिली और गाड़ी में बैठते ही जल्दी जल्दी चलो कहने लगी. और बोली मेरा दूसरा फ्रेंड राजौरी गार्डन मेट्रो स्टेशन पर हैं उसको वह से लेना हैं। जो उस लोकेशन से २ किमी से ज्यादा दूर था और जाम के कारन 15 मिनट शो हो रहा था। 
इस बीच एक और पिकअप एड हो गया जा पंजाबी बाग़ से था और १० मिनट दूर था। 
मैंने उस लड़की को कहा की मेरा एक पाप और ह और आपका फ्रेंड जहाँ खड़ा हैं वह मेरे रूट पर नहीं ह मने दूसरा पाप लेना ह इस लिए म आपके फ्रेंड को लेने नहीं जा सकता पूल में इस तरह नहीं होता। 
तब वह लड़की गुस्से में बोली पैसे देते हैं लेना पड़ेगा मैं देखती हु कैसे नहीं चलते। 
मेरे दूसरे पिकअप से बार बार जल्दी आने के लिए फोन आ रहे थे।
मैंने uber में फोन करके सारी स्तिथि बताई तो उन्होंने कहा की आप ट्रिप अभी समाप्त कर दीजिये और उनको गाड़ी छोड़ने के लिए कह दे।  उनको पूल के नियम बताये। मने कहा की म नियम बता चूका हूँ लेकिन वो अनाप सनाप बोले जा रही हैं और अब धमकिया भी दे रही हैं।  उबेर ने कहा की हम कुछ नहीं कर सकते आप ट्रिप एन्ड कर दीजिये।
मैंने ट्रिप एन्ड कर दिया।  इस दौरान मेरा दूसरा पिकअप भी कैंसिल हो गया।
मने उस लड़की को कहाँ की आप गाड़ी से उतर जाये मने ट्रिप एन्ड कर दिया ह आप पर कोई चार्ज नहीं लगेगा न ही मैं आपसे पैसा मांग रहा हूँ।
तो वह लड़की गाड़ी से नहीं उत्तरी और गालिया देने लगी बोली तुम जैसे 50 - 50 रु में चक्कर काटते हैं म देखती हूँ कैसे गाड़ी चलाओगे म नहीं उतरूंगी।  उसने फोन करके अपने साथी को भी बुला लिया वह भी आकर गाड़ी में बैठ गया और गाड़ी तोड़ने की धमकी देने लगा।
मने दुबारा उबेर में कॉल की लेकिन वह से कोई हेल्प नहीं मिली कहा की आप अपने आप निपटिए।
मने 100 न. पर कॉल करके पुलिस को सब बताया।  इसके आधे घंटे बाद कांस्टेबल आया जिसको देखकर वे दोनों कॉलोनी में भाग गए।
कांस्टेबल ने कहा की अपने भागने नहीं देना चाहिए था।  मने कहा की क्या म उनसे लड़ाई करता फिर आप हम ड्राइवर के ऊपर ही इल्जाम लगते और हमें परेशां करते।
इस सरे वाकये में उबेर ने कोई हेल्प नहीं की. 

Wednesday, September 28, 2016

सच्ची प्रेम कहानी Indian True Love Story

श्वेता और कपिल 
सच्ची प्रेम कहानी 
जरूर पढ़े 
कुछ दिन पहले फार्म पर एक चिड़िया और चिड़ा आये। वे हर रोज दाना चुगने आते। चिड़ा चिड़िया को देखता रहता। चिड़ा मन ही मन चिड़िया को चाहने लगा। एक दिन चिड़े ने चिड़िया को अपने दिल की बात कह दी वो चिड़िया से बोला- की तुम हर रोज लाम्बा साहब के यहाँ दाना खाने आती हो और मैं तुम्हे देखता रहता हूँ तुम मुझे अच्छी लगने लगी हो। मेरी चाहत दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। लगता हैं मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ। चिड़िया शर्मा कर बोलीं बस आगे कुछ मत कहो मेरा भी यही हाल हैं मैंने जबसे तुम्हे देखा हैं मैं भी तुम्हे चाहने लगी हूँ। जब तुम छुप छुपकर मुझे देखते हो तो मन में मोहबत मचलने लगती हैं। 

उन दोनों ने अपने प्यार का आखिर इजहार कर ही दिया कुछ दिन वे दोनों मिलते और एक दूसरे से मोहब्बत करते रहे। मैं अक्सर उनको एक साथ देखता।
एक दिन चिड़े ने चिड़िया को प्यार से कहा - प्रिय हमें बहुत दिन हो गए एक दूसरे से मिलते हुए। तुम मेरी जीवन साथी बन जाओ। चिड़िया लजा गयी और सर झुककर धीरे से बोली तुम्हारी जीवनसाथी बनकर प्यार करते हुए जीवन बिताने के लिए ही तो मैं धरती पर आई हूँ लेकिन हम रहेंगे कहाँ अभी तो तुमने अपना घोसला भी नहीं बनाया हैं। आगे बरसात आने वाली हैं। तुम जल्दी से एक घोसले की जगह तलाश कर लो और बनाना शुरू कर दो। मैं भी तुम्हारी मदद करुँगी। चिड़े ने कहाँ ठीक हैं कल मिलकर घोसले के लिए जगह तय कर लेंगे।
अगले दिन जब वे मिले तो चिड़िया ने कहा हमारी मुलाकात लाम्बा साहब के आँगन में हुयी हैं यंही पर हमारा प्यार हुआ और यहाँ खाना-पानी सब कुछ हैं। क्यों न हम यही पर अपना घोसला बनाए। लाम्बा साहब के यहाँ हम पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। तो चिड़े ने तुरंत सहमति देते हुए घोसला बनाने की बात कही और कमरे के अंदर लोहे के गाटर के कोने में घोलसा बनाना शुरू कर दिया। लेकिन वो बार बार तिनका रखता और तिनका गिर जाता। इसी तरह उसको १०-१२ दिन लग गए तिनका टिक नहीं पा रहा था रखते ही फिसल जाता। चिड़े ने भी हार नहीं मानी और वो लगातार प्रयास करता रहा।

मैं कुछ दिन पहले फार्म पर गया तो उसको इसी तरह देखता रहता वो बार बार प्रयास करता रहता मैंने सोचा चिड़ा मेहनती हैं और ये अपना घोसला बना ही लेते हैं ये भी जरूर बना लगा। फिर ५-६ दिन बाद मैं दिल्ली लौट आया।
जब मैं २ जून को दुबारा फार्म पर गया तो मैंने देखा चिड़ा अभी तक घोसला नहीं बना पाया था वो अभी भी तिनके ज़माने की कोशिश कर रहा था। होसला तो बहुत था उसमे लेकिन वह उदास और मायूस लग रहा था। चिड़िया उससे कह रही थी की अगर एक दो दिन में घोसला नहीं बना तो उसके माता
पिता किसी और चिड़े के साथ उसको भेज देंगे। चिड़िया की आँखों में आंसू थे चिड़े का भी दिल घबरा रहा था। वो बार बार आसमान की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखता ओर फिर तिनका उठाकर जमाने की कोशिश करता। मेरे मन में अचानक ये ख्याल आया की लगता हैं चिड़े की चीत्कार ईश्वर तक पहुँच गयी हैं और उसने इस चिड़े और चिड़िया की मोहब्बत को परवान चढ़ाने के लिए मुझे शायद जरिया बनाकर भेज हैं। मुझे याद आया की लगभग ४ साल पहले जब मैं Girls PG चलाता था तब एक लड़की श्वेता रहती थी एक बार उसको किसी ने फूलों का गुलदस्ता लड़की के फ्रेम में दिया था। वह फ्रेम मैंने ये कहकर रख दिया था की इसको किसी पेड़ पर बांध देंगे ताकि कोई चिड़िया इसमें घोसला बना ले। वह फ्रेम मैं एक दिन फार्म पर ले गया था। वह मेरे पास रखा हुआ था।
मैंने उस फ्रेम को ऊपर कमरे की छत के पास फिर कर दिया।

अगले ही सुबह सुबह मैंने देखा की चिड़ा और चिड़िया ने उसको तिनके से भर दिया और घोसला बना लिया।
मैंने देखा दोनों बहुत खुश थे और पूरा दिन उछालते कूदते रहते और प्यार से अपने घोसले में रहने लगे।
मैंने इस चिड़िया और चिड़े का नाम श्वेता और कपिल रखा हैं।

Friday, October 23, 2015

भविष्य क्या हैं ?

भविष्य क्या हैं ?
What is future?
भविष्य हमारे द्वारा लिए गए फैसलों का परिणाम होता हैं। 
आज मैं नयी रिलीज़ मूवी भाग जॉनी भाग देख रहा था।  मूवी के मुख्य किरदार जॉनी को कोई निर्णय लेने से पहले अच्छे और बुरे निर्णय लेने के कारण होने वाली घटनाओं को स्पष्ट दिखाने के बाद कहा की -
देखा जॉनी भविष्य हमारे दुआरा लिए गए निर्णयों का नतीजा होता हैं।
बस तभी से ये शब्द माथे में बार - बार गूंज रहे हैं।  मैंने आज इन शब्दों को अपने सबसे बेहतर फोटो के साथ फेसबुक और व्हाट्सऐप पर पोस्ट भी किया हैं। 
ये बिलकुल सत्य है की वर्तमान में लिए गए हमारे निर्णय ही हमारा बेहतर, निम्न, बैड या गुड डेज बनाते हैं। 
हॉलीवुड की मूवी फाइनल डेस्टिनेशन की सभी मूवीज में होने वाली घटनाओं के संकेत पहले से ही मिलने की बात पर ध्यानाकर्षण करती हैं। 
स्पाइडर मेन के अंतिम सीन में स्पाइडर मेन अपने मरते हुए दोस्त को कहता है की समय कितना ही कठिन और परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों न हो अच्छा या बुरा निर्णय लेना केवल हमने स्वंय ही लेना होता हैं। 
कई बार ऐसा लगता हैं की उपरोक्त तीनों को छूती हुयी जब भी कोई घटना मेरे जीवन में घटती है तब इसी प्रकार से कोई संकेत भी सामने आ जाता है और मेरे जीवन का मुख्य निर्णायक बन जाता है।  पिछले 6 - 7 साल से इसप्रकार के संकेत मुझे अनेक अवसरों पर सही निर्णय लेने की क्षमता देने का प्रयास करते हैं।  मैं इन संकेतो को घटना से पहले या बाद में कई बार महसूस कर चूका हूँ। 
ऐसा नहीं है की मुझे संकेतो को पहचानने की कला आती है बस जब घटनाएँ घटती हैं तब अपने आप आभास हो जाता है। मैंने वर्ष 2015 में अभी तक कई अहम निर्णय लिए है जिनके कुछ सकारात्मक नतीजे दिखाई देने शुरू हो चुके है और इस माह के जाते - जाते अपनी जिंदगी के सबसे अहम निर्णयों में से एक - दो जरूर लेने हैं। जिनके लिए मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।  
आज की मूवी ने शायद सही निर्णय लेकर राह चुनने का संकेत दे दिया है। 
नरेश लाम्बा ------------

Monday, October 19, 2015

भारत में सामाजिक कुरीतियाँ Social evils in Indian Society

मेरी डायरी
सामाजिक कुरुति या बुराई या रीतिरिवाजों का बिगड़ता स्वरूप
जब मेरा हुआ सामना …
18 अक्टूबर , 2015
मेरे एक रिश्तेदार के बेटे की शादी तय हो चुकी हैं और आज लड़की को अंगूठी पहनाने की रस्म थी।  मुझे भी उनकी तरफ से बुलावा भेजा गया था की अपनी पत्नी सहित हमने उनके साथ जाना है। किसी अंगूठी डालने की रस्म में जाने का यह मेरा पहला अवसर था।
इससे पहले मैं आगे लिखूं ये जानना जरुरी है की लड़की को अंगूठी पहनाने की रस्म ज्यादातर महिलाओं दुवारा घरेलु कार्यकर्म में पूरी की जाने वाली रस्म है।  जो रिश्ता पक्का होने के बाद सगाई (लड़के को अंगूठी पहनाने की रस्म ) से पहले होती है।
अब इसमें बुराई क्या है ?
खैर बुराइयों का तो कोई अंत नहीं है सब अपने अपने अनुसार इस रस्म को तोड़ मरोड़कर अपने हित और लालच साध रहे है इसके कुछ पहलुओं पर बात करनी होगी जैसे की ---
1 - लड़के वाले ज्यादा से ज्यादा संख्या में जाने की कोशिश करते है मैंने 80 - 100 लोगों तक जाते देखा है इससे न केवल लड़की वाले के ऊपर खाना और जगह के इंतजाम का खर्च और भार बढ़ता है बल्कि कई प्रकार के अनावश्यक लेनदेन का भार भी पड़ता है जिसका निचे उल्लेख किया है।
जब कुछ दिन बाद बारात में सभी को जाना ही हैं तो इस रस्म में अपने साथ अन्य रिश्तेदारों को क्यों ले जाया जाता है ?
2 - लड़की वाला सभी आने वालों को कपडे देगा चाहे वह स्त्री हो या पुरुष या बच्चा।  अगर 30 - 35 भी हो जाते है तो कपडे ही 15 - 20 हजार के पड़ते है। और अगर लड़का भी साथ है तो उसके कपडे ही सबके बराबर पड़ जाते है साथ ही एक अंगूठी का खर्च और बढ़ जाता है। इसके आलावा लड़के के माँ - बाप और भाई बहने इनके लिए स्पेशल कपडे और जेवरात आदि।
इसके बाद सगाई की रस्म होती है जिसमे लड़की वाले लड़के के घर जाते है और लड़के को अंगूठी पहनाते है और सभी के कपडे व मान तान के नाम पर सैकड़ो के लिए पैसे दिए जाते है।
बुराई यहाँ रस्मो रिवाजों में नहीं है बुरा इनको निभाने और करने वालों ने बना दिया है।
जब लड़के - लड़की ने एक दूसरे को अंगूठी ही पहना ही दी हैं तो आगे सगाई का तो कोई औचित्य ही नहीं बनता फिर कपडे व इतने सारे लेनदेन क्या ये सब ख़ुशी से रस्म पूरी करने आये है या इनको लेने ?
3 - यह एक बड़ी हास्यपद रिवाज है की सभी आये हुए लड़के वाले अंगूठी रस्म यानि अंगूठी पहनने के बाद लड़की को मान के नाम से कुछ रूपए देते है जिसका लड़की वाला दुगना पैसा उनको मान के नाम से देता है।  ये समझ नहीं आया की यह रिवाज क्यों और किस भावना से बनाई गई है की दुगना देगा ?
मेरा अनुभव तो एक बार बहुत ही भयानक हुआ था जिसपर गुस्सा और दुःख हुआ -----
मैं कुछ साल पहले ब्याज पर रूपए देता था ज्यादातर दुकानदार या छोटे काम धंधे वाले लोग मेरे पास आते थे। मेरे पड़ोस में एक हरिजन परिवार रहता हैं एक दिन वह और उसका भांजा मेरे पास आया।  उसने कहा की ये मेरे भांजा हैं इसको 5000 रूपए ब्याज पर चाहिए मैंने कहा की मैं केवल दुकानदारों को ही पैसा ब्याज पर देता हूँ उसने कहा की मैं इसकी गारंटी लेता हूँ ये परसों ही वापस कर देगा और जैसे की तुम चार महीने में ब्याज सहित 5 के 6 हजार वापस लेते हो ये दो दिन के ही एक हजार रूपए सहित 5 के 6 हजार लौटा देगा। 
मैंने उससे कहा की मैं नहीं दे पाउँगा लेकिन ऐसा क्या काम आ गया की दो दिन के एक हजार ब्याज देने पड़ रहे है।  तो जो उसने कारन बताया उससे मेरा दिमाग फटने को हो गया और मैंने उनको अपने ऑफिस से भगाया। 
उसने कहा की मेरे बेटे का रिश्ता पक्का हो गया है और कल लड़की को अंगूठी डालने जायेंगे और हम सब बड़ी मान यानि बाप, चाचा चाची व भाई आदि 5 - 5 हजार रूपए लड़की की झोली में डालेंगे जिसके बदले लड़की वाला सबको 10 - 10 हजार वापस देगा।  परसो ये 6000 तुम्हे देदेगा इसको 4000 बच जायेंगे। 
अब इसको क्या कहेंगे रस्म, रिवाज या स्वंय ही कुछ नाम दो ?
मैं बात कर रहा था एक रिश्तेदार के बेटे की अंगूठी रस्म की।  एक मंहगे रेस्चुरेन्ट में आयोजन किया गया था। फुल ऐसी, म्यूजिक, बढ़िया और कई प्रकार के व्यंजन की व्यवस्था थी।  हम (लड़के वाले) लगभग 35 - 40 लोग थे जिसमे 5-6 स्त्रियां 3-4 बच्चे थे।
हमें सुबह 11 बजे वहां पहुँचने के लिए बोला गया था और लगभग सभी असमय पर पहुँच गए थे।  जाते ही उनका नाश्ता - पानी शुरू हो गया था जिसमे गोलगप्पे, कई प्रकार के पकोड़े, सूप से लेकर खाने में कई प्रकार की सब्जियों सहित मिठाई वैगरह सब था।
कई रिश्तेदारों के साथ लड़का भी आया हुआ था। अंगूठी की रस्म लगभग 2.5 बजे हुयी हम लोग तीन - चार घंटे बस यु ही वहां पड़े रहे।  सभी पुरुष एक तरफ बैठे थे लड़के - लड़की ने कब अंगूठी पहना दी हमें पता भी नहीं चला। ऐसा लगा की पुरुष तो बेकार में केवल भीड़ के लिए बुलाये गए थे।  सब बैठे केवल टाइम पास कर रहे थे।  और बार - बार ये कह रहे थे पता नहीं कितनी देर और यहाँ बैठना पड़ेगा।
अंगूठी के बाद फोटो शुरू हो गए मंच पर लड़के - लड़की के लिए कुर्सियां लगी थी लगभग 1 घंटे से ज्यादा फोटो सेसन चला।  जिस दौरान लड़के की तरफ से आये लोगों ने लड़की को 100 -100 रूपए दिए मैंने भी दिए।  ये 100 रूपए देना लड़के के ताऊ ने तय किया था और सबको कह दिया था की हम लड़की को 100 - 100 रुपय देंगे।  मैंने सोचा चलो ज्यादा से ज्यादा अब लड़की वाला 200 रूपए ही मान - तान के नाम से देगा लेकिन हद तो जब हो गई -
- सबको 1100 - 1100 रुपय
- एक - एक चंडी का सिक्का
- एक- एक सफारी सूट
- मिठाई का डब्बा
- और जो लड़की के मामा आधी आये हुए थे उन्होंने 600 - 600 रूपए दिए
इसके आलावा
- लड़के के माँ - बाप को सोने का सिक्का
- लड़के को अंगूठी
- महंगा सूट
- सबी महिलाओं को महंगा सूट
दिया गया।  और सब ऐसे लाइन में लगकर ले रहे थे जैसे प्रसाद ले रहे हो।  सब आपस में चर्चा कर रहे थे कहा की मौज कर दी।
मैंने सरे खर्च का हिसाब लगाया जो लगभग 6-7 लाख के करीब पड़ रहा था।
सारा ढकोसला और नाटक की तरह चल रहा था मुझे कंही से भी ये प्रोग्राम शादी की रस्म नहीं लगी।  यह रस्म घर में महिलाओं दुआरा मनाई जाती है।  जब हम खाली बैठे थे तो ऐसा लग रहा था की किसी रेस्चुरेन्ट में खाना खाने आये हुए हैं।  कोई हंसी - ख़ुशी या महिलाओं के गीत नजर नहीं आ रहे थे बस अपनी - अपनी हैसियत का प्रदर्शन ही नजर आ रहा था।
लड़के का मुंह घमंड से ऊँचा उठा हुआ था और लड़की के भाव एक परेशान नाटक की कलाकार की तरह लग रहा था हो बस मंच पर एक कठपुतली की तरह खड़ी थी। जो भी आता 100 रूपए हाथ में देता और वह झुककर बस पैर छूती अब तो उसके चेहरे पर मुस्कान की बजाये परेशानी और थकान ज्यादा नजर आ रही थी।  मुझे लग रहा था बार - बार पैर छूने से शायद उसकी कमर में भी दर्द होने लगा था।
- ये सब क्या था ? मैं अभी तक नहीं समझ पाया हूँ।  जिससे भी बात की सब ने कहा की एहि ही रिवाज है। 
क्या ये रिवाज है ?
- या रिवाजों - रस्मों के नाम पर ढकोसला हो रहा हैं ?
मैंने कई साल संस्था का प्रतिनिधित्व करते हुए बेटी बचाओ आंदोलन चलाया और यह लड़का और इसकी माँ ने उनमे भाग भी लिए जिसमे हमारा फोकस ज्यादातर शादी के नाम से चल रही कुरूतियों पर ही रहा हैं लेकिन आज लगा की हम सफल नहीं हो पाये। 
कैसे दूर होंगी ये कुरुतियां ? समझ नहीं आ रहा।  जब नौजवान और पूरी तरह संपन्न युवक भी समझ नहीं पा रहे।  क्या होगा हमारे समाज का ?

Friday, October 16, 2015

Bel Sweet

Bel SweetIt is Best for Stomach and It also removes Abdominal pain and spasm Bel sweet a nutritious, tasty and delicious preparation removes constipation, acidity and gas.
Actions:Best food supplement for stomach,Great appetizer,Being a fruit, Bel sweet can also be used in fast,Improves digestion and so keeps your body healthy.Ailments:Keeping away from loose motion, blood with stool, dysentery, mucus and amoebasis Abdominal pain and spasm,Constipation, acidity and gas.

Available at 
Nirmala House
(Organic & Herbal Grocery Store)
A-64 Palam Ext. Sec-7 Dwarka
New Delhi-110061
Contact:
Naresh Lamba
9891550792

Thursday, October 15, 2015

Hand Wheel Hoe and Mini Cultivator



आदमी हूँ, भँवर में रहता हूँ

देवता होता तो निकल पाता
आदमी हूँ, भँवर में रहता हूँ

इंसान की जिन्दगी मोह के भंवर में फंसी हैं
सच्चाई का दामन थाम इसे पर कर जाओ
नजरे तो धोखा हैं मिथ्या दिखती हैं 
दिमाग उलझन हैं सोच इसका सफ़र 
दिल की आवाज सुनो ये ईश्वर की नेमत हैं
अपने आप को पहचानो तुम इंसान हो
चलो अपनी राह पर जब तक रौशनी न मिल जाये
निशा अपने कदमो के छोड़ जाओ धरती पर .
उठो पार्थ, गांडीव संभालो,दूर करो अपनी दुविधा
युद्ध धरम हैं, युद्ध कर्म हैं, मात्र शेष यदि युद्ध विधा.
..........................

Saturday, May 2, 2015

ORGANIC MANURE FROM KITCHEN WASTE

ORGANIC MANURE FROM KITCHEN WASTE

रसोई घर से निकले सब्जियों के पत्तें / छिलके / चाय पत्ती/ सूखी रोटी / आटा / बेसन आदि से घर में ही बनाये बेहतर जैविक खाद। 
पर्यावरण क्षेत्र से जुड़ी एक संस्था के सर्वे के अनुसार दिल्ली और अन्य भारतीय आम शहरी औसत परिवार की रसोई से 800 ग्राम से 1 किलो 50 ग्राम हरा कचरा फल एवं सब्जियों के छिलके, चाय पत्ती और बचे हुए सूखे आटे के रूप में निकलता है। यह अन्य कचरे के साथ मिलकर कूड़ाघर में जाता है या अन्य जगह फेंक दिया जाता है जो बेकार है और बदबू का भी कारण बनता है।
इस खुले में फेंके गए हरे कचरे पर गाय व अन्य पशु आकर्षित होते है। सड़ने पर यह कचरा जहरीला हो जाता है और अक्सर पॉलिथीन में कचरा डेल जाने से पशु कचरे को पॉलिथीन समेत निगल जाते है जिससे उनमे कई तरह की संक्रमक बीमारिया हो जाती है और पशु मर जाते है।  शहरो में सबसे ज्यादा गाय इससे प्रभावित हो रही है। 
अगर शहरी लोगो में थोड़ी सी जागरूकता आ जाये तो केवल दो से पांच मिनट्स दिन में अतिरिक्त देकर न केवल इन गायों को बचा सकते है साथ ही घर पर ही बेहद उम्दा किस्म की 5-6 जैविक खाद भी हर महीने बना सकते हैं।  जो हमारे किचन गार्डन के लिए या अन्य पेड़ पौधों के लिए काफी उपयोगी होती हैं। 
 बाजार में उपलब्ध जैविक खाद काफी महंगी होती है। घरों में आने वाले माली 20 रू की 50 ग्राम खाद देते हैं। इसप्रकार खाद 400 रू किलो पड़ती हैं। 
घर में रसोई से निकलने वाले हरे कचरे से हम 5-6 खाद प्रति महीने आसानी से बना सकते है। 
खाद बनाने की विधि :-
1- एक माध्यम आकार और क्षमता का मिटटी का ढक्कन सहित घड़ा ले और उसको छाया में रख ले। 
2- सब्जियों के छिलके अलग कर ले।

3- मोटे छिलके या साबुत गली सब्जी को काटकर बारीक़ कर ले।

4- कटे हुए छिलकों को मटके में भर दें।
5- जब भी पत्तें डाले डंडे से अच्छी तरह मिला दे। बाद में मटके को छाया में ढककर रख दे। हफ्ते में एक बार मिश्रण को आपस में मिलाते रहे। 
6- इसप्रकार से उम्दा किस्म की जैविक खाद 25-30 दिनों में तैयार हो जाती हैं। 
खाद की और ज्यादा गुणवत्ता बढ़ाने व जल्द तैयार करने के लिए निम्न तरीका अपनाया जा सकता हैं। 
1- सबसे पहले पत्तों / छिलकों को बारीक़ कर लें। 

2- इसके बाद इसमें पुरानी गोबर या अन्य सड़ी हुयी थोड़ी खाद मिला दे।  यह खाद पत्तों को जल्द गलाने में सहायक बनती हैं।  जैसे दही ज़माने के लिए जामन की आवस्यकता होती हैं उसी प्रकार नयी खाद बनाने के लिए उसमे थोड़ी पुरानी खाद डालनी चाहिए।  
3- इसमें हम थोड़ा बेसन या अन्य बचा हुआ सूखा आटा भी मिला सकते हैं इससे खाद भी जल्द गलेगी और पौष्टिकता भी बढ़ेगी। 
4- इस पुरे मिश्रण को अच्छी तरह मिला ले। 
5- सारे मिश्रण को मटके में भर दे। 

5- खाद की गुणवत्ता के साथ - साथ उसमें पौधे के लिए रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व कीटनाशक क्षमता भी पैदा करने के लिए नीम, धतूरे व आक या अमरुद के पत्तो को मिक्सी में पीसकर या कूटकर चटनी बना ले। अगर सभी उपलबध न हो सके तो इनमे से जो मिल जाये उसी को कूट पीस ले।  इस चटनी की थोड़ी मात्रा मटके में डाल दे। धयान रखे की चटनी में पानी ज्यादा न हो। 
6- मिश्रण में पुराने अख़बार को बारीक़ टुकड़े करके डाल दे। अख़बार जल्द गलते है साथ ही मिश्रण के फालतू पानी को भी सोख लेते हैं।  बाद में भी अगर आपको लगे की पानी ज्यादा है तो अख़बार के टुकड़े इसमें डाल दे। 
7- देशी गाय के गोमूत्र में 36 प्रकार के गुण पाये जाते हैं जिनमे जीवाणु, कीटनाशक व खाद की पौष्टिकता आदि बढ़ाने के गुण होते हैं। अगर देशी गाय का मूत्र मिल जाये तो थोड़ा इस मिश्रण में मिला दे। 
8- सब मिलाने के बाद मटके को ढक्कर छाया में रख दे।  हफ्ते में एक बार डंडे से मिलते रहे। अगर गीलापन ज्यादा लगे तो अख़बार के टुकड़े डाल दे और एक दो दिन मटके को खुला छोड़ दे। 
9- इसप्रकार 25-30 दिनों में बेहद उम्दा, पौष्टिक, कीटनाशक सहित जैविक खाद बनकर तैयार हो जाती हैं। 
ये बिलकुल आसान तरीका है जैविक खाद बनाने का। यह खाद सब्जियों, फूलों व घरेलु पौधों के लिए बहुत लाभकारी है साथ ही बड़े पैमाने पर इसको तैयार करके खेती के इस्तेमाल में भी लाया जा सकता है।  लेखक नरेश लाम्बा दुवारा हर महीने 30-35 मटको में खाद बनायीं जा रही है।  जिसका उपयोग खेती में सफलता पूर्वक किया जा रहा है।
इस खाद में नाइट्रोजन, कार्बन व ऑक्सीजन सहित वे सारे तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं जो किसी भी पौधे की
सम्पूर्ण आवश्यकता को पूरी करते है।  जमीन में इस खाद के डालने से कुछ ही दिनों में करोडो जीवाणु जमीन में पैदा हो जाते है जो प्राकृतिक खाद के निर्माण के साथ - साथ जमीन में पौधों के लिए हानिकारक कीड़ो को भी नस्ट कर देते हैं। ये जीवाणु पौधों की जड़ो तक ऑक्सीजन पहुचने का भी माध्यम बनते हैं। 

Naresh Lamba
President
Social Development Welfare Society (Regd.NGO)
Contact: 9891550792
lamba2512@gmail.com








Friday, May 1, 2015

HEALTH BENEFITS OF TRIPHALA JUICE त्रिफला रस के लाभ

त्रिफला रस के लाभ 
TRIPHALA RAS
About Triphala :- Triphala means the unique combination of equal parts of three health nourishing fruits called as Amalaki (Amla or Indian Gooseberry), Haritaki (harrer) and Bibhitaki (baheda) Each of these fruits has health benefits themselves, and are used in many dishes and medications, separately and together. Along with it’s health and healing properties, Triphala is packed with vitamins, giving it a tremendous nutritional value.
SEPARATE BENEFITS OF THREE INGREDIENTS WHICH IS CALLED TRIPHALA :-
AMLA :- The health benefits of Indian Gooseberry, also known as Amla, can be partially attributed to its high vitamin-C content. Amla enhances food absorption, balances stomach acid, fortifies the liver,
nourishes the brain and mental functioning, supports the heart, strengthens the lungs, regulates elimination of free radicals, enhances fertility, helps the urinary system, increases skin health, promotes healthier hair, acts as a body coolant, flushes out toxins, increases vitality, strengthens eyes, improves muscle tone and, acts as an antioxidant.. 
BAHEDA :- baheda is very effective in treating respiratory disorders and problems caused due to cold, it reduces the cough, release the phlegm clearing the air passages , very good sedactive & have calming effect on the sympathetic nervous system, it reduces the activity of the body system , lower the high blood pressure & cholesterol, due to this it is widely used to treat anxiety.
HARAD :- Harad is used after removing seeds from it, its used in various diseases is rational uses gives a lot of benefits.like Harad removes all blockages in the channels of the body.provide relief in mouth diseases, harad gives good result in piles.

BENEFITS OF TRIPHALA JUICE IN DETAIL.
Triphala juice is a fresh and excellent source of the vitamins, minerals and iron which provides proper nourishment to the body. It acts as a very good geriatric tonic for all elder people and helps them in regulating their body organs functioning during old age.Regular drinking of the triphala juice helps in preventing from the abdominal disorders like :-
DIGESTIVE SYSTEM
ACIDITY – Triphala has been found very effective in treating acidity , hyperacidity or acid reflux. Due to its powerful neutralization action it aids in the normal production of gastric acid that does not harm the stomach lining an does not cause acidity.
LOSS OF APPETITE :-Triphala is herbal formulation that is very effective in normalization the digestion that is helpful in maintaining the normal amount of hunger desires in the body. It helps in promoting the decreased appetite.

CARDIOVASCULAR SYSTEM :-
HIGH BLOOD PRESSURE OR HYPERTENSION – Triphala is known for its spasm releasing properties. In case of high blood pressure there is a kind of spasm in the artries that restricts the blood flow. Triphala helpful in releasing this spasm facilitating the easy flow of blood through them.
HIGH CHLOESTEROL – Triphala is very helpful in reducing the cholesterol levels in the body and promotes the production of good cholesterol in the body.
NERVOUS SYSTEM :-
BRAIN ENHANCER – Triphala is sipposed to increase the mental ability as well as improves the concentration levels in the brain.
HEAD ACHE – Triphala is highly recommended in the chronic as well as acute headaches, triphala is also helpful in treating severe types of headaches and even migraine.

GENERAL BODY :-
DIABETES – Triphala is very beneficial in treating diabetes , first of all it stimulates the beta cells of islet of langerhans present in panecreas to release the proper amount of insulin, a hormone that is required to regulate the blood sugar levels. As per the ayurvedic concept as triphala is bitter in taste it scavenges on the glucose particles that float in the blood stream.
IMMUNITY :- Triphala is extremely beneficial in increasing the immunity in the body and also helps in fighting any kind of infection that occurs in the body.
OBESITY:- Triphala shows wonderful result in treating obesity. It regularizes the digestive system so that proper absorption takes place in the body. More over it directly targets the fats in the body to reduce them.
SKIN :- Triphala is considered s one of the best skin tonic. It not only makes healthy skin but is also helpful in treating the various skin related ailments. It is very beneficial in reducing the itching over the skin diseas. 
COLON CLEASNER :- Triphala is the best colon cleasner in the world,this is the opinion of a survey that was being conducted world wide. It is a powerful herbal combination of three most potent herbs that are extremely beneficial in eradicating any kind of toxins. It tones up the intestines and our colons and makes absorption of nutrients easy.



Triphala Ras available at
Nirmala House
Organic and Herbal Grocery Store
A-64 Palam Ext. Sec-7 Dwarka, New Delhi-110077
Naresh Lamba
Mb.9891550792


Tuesday, April 28, 2015

जैविक अदरक की खेती

Organic Ginger Farming
जैविक अदरक की खेती
नरेश लाम्बा, ग्राम शेखपुर, तहसील रामगढ़, जिला अलवर, राजस्थान
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- बुवाई का समय
अप्रैल-मई
- सफल पूरी होने का समय- 9 माह
चने व गेहूँ की कटाई के उपरांत खेत में क्या लगाया जाए? बस येही सवाल बार-बार मन में आ रहा था। कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो सही प्रकार से मार्गदर्शन कर सके।
मैंने अपने आस-पास के कई किसानो से बात की, सबने केवल पारम्परिक फसलों जैसे- ग्वार व कपास के बारे में ही बताया। कहा- कपास की बुवाई अप्रैल के अंतिम सप्ताह से मई के पहले पखवाड़े तक की जा सकती है या
जुलाई तक लगा सकते है। ग्वार की बुवाई जून-जूलाई में  की जाती है। मैं कम से कम तीन फसल लेना चाहता था। पिछले साल मुझे पूसा संस्थान के द्वारा मूंग बोने की सलाह दी गई थी उन्होने कहा था कि अप्रैल के अंतिम सप्ताह से मई के प्रथम पखवाड़े तक गर्मियों में होने वाली मूंग की बुवाई की जाती है और यह 60-70 दिन में पूरी होती है इसके बाद दूबारा बरसाती मूंग जून-जूलाई में बोई जाती है। मैंने उनके सुझाव से मूंग की बुवाई की लेकिन कुछ अनुभव की कमी व अन्य कारणें के चलते सफलता नही मिली। मैने इसबार फिर से पूसा संस्थान व कर्षि काॅल सेंटर में फोन किया और उनसे अप्रैल-मई में बोई जाने वाली फसलों के बारे में जानकारी मांगी तो उन्हाने केवल मूंग के बारे में बताया।
मैने ईंटरनेट का सहारा लिया और कई दिन सर्च करने के बाद अदरक-हल्दी-मूंग व सफेद लोभिया के बारे में जानकारी मिली। इनमें अदरक नकदी फसल और अच्छा लाभ देने वाली फसल साबित हो रही थी। 
मैंने अदरक को अपने क्षेत्र में बोने के लिए सर्च किया तो किसी भी आकड़ों में रामगढ़ में अदरक की बुवाई नहीं मिली। हाँ पूरे भारत के अदरक के आकड़ों के अनूसार 1.8 प्रतिशत अदरक की खेती राजस्थान में मिली। 
प्राप्त जानकारी से उत्साहित होकर मैंने दो-चार क्यारी अदरक बुवाई कर जमीन परखने की सोची और अदरक के बीज के लिए नेट पर सर्च किया तो केरल, कनार्टक आदि में बीज मिले। इतनी दूर से यह संभव नहीं था। मैंने किसान काॅल सेंटर से संपर्क किया तो उन्होने भी असर्मथता जताई। मैंने पूसा में संर्पक किया तो उन्होने पंखा रोड़ जनकपूरी स्थित कम्पनी का फोन न0 दिया। उनसे संर्पक करने पर पता चला कि वे लोग अदरक पर काम नहीं करते। यानि कोई सरकारी मदद नहीं मिली।
बड़ी दिक्कत आ खड़ी हुई कि अब बीज कहाँ से मिले। एक बीज के दुकानदार ने बताया कि सब्जी मंडी में ट्राई करो अगर बिना धुली अदरक मिल जाती है तो उसमें से बीज के लायक कंद छाट लो। लेकिन अदरक बिना धुली हुई ही हो।
14.4.2015
मैंने नसीरपुर संब्जी मंडी में संर्पक किया लेकिन वहाँ बिना धूली अदरक नहीं मिली। इसके बाद मैं केशवपूर सब्जी मंडी गया और काफी ढूंढने पर एक दुकानदार के पास बोरी मिली और काफी छटाँई के बाद 10 कि0ग्रा0 अदरक मिली। उम्दा व जैविक बीज न मिलने के कारण मैनें इसबार स्वंय जैविक बीज तैयार करके अगले साल अदरक की बड़ी खेती करने की योजना बनाई। और केवल 10 कि0 ग्रा0 प्रकंद ही लगाने की तैयारी की। इससे मुझे जैविक बीज भी मिल जाएगा और हमारी भूमि व वातावरण में अदरक होगी या नहीं इसका भी अनुभव हो जाएगा।
15.4.2015
अदरक की छटाँई के बाद मैंने अदरक के लगभग 25 से 40 ग्रा0 के छोटे-छोटे टुकड़े किए और उनको जूट की बोरी पर बिझाकर उपर से सूती महीन चद्दर से दो दिन के लिए ढक दिया व पानी का छिड़काव किया ताकि अदरक सूखे ना और उसमें फुटाव आ जाए।

17.4.2015
अदरक का बीजोउपचार
अकरक के कंदो को देशी गाय के मूत्र में पानी मिलाकर लगभग तान-चार घंटे डुबाया गया। बाद में 10 से 12 घंटे छाया में सुखाया गया।
गौमूत्र के बीजोपचार करने के लाभ-
  • रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
  • भूमि जनित रोग जैसे फफूंद, फंगस, दीमक से बचाव होता है
  • चूहे प्रकंद को नुकसान नहीं पहुँचाते

बीजोपचार की विधियाँ
  • देशी गाय के मूत्र व पानी को मिलाकर में प्रकंद को दो-तीन घंटे उसमें डुबाए
  • देशी गाय की छाछ में थोड़ी सी असली हींग घोलकर प्रकंदो को डुबाए
  • अगर उपरोक्त चीजे उपलब्ध न हो तो करोसीन में अच्छी तरह भीगो कर छाया में सुखाएं

अदरक के लिए क्यारी तैयार करना
  • अदरक की फसल क्योंकि 9 माह में पूरी होती है इसलिए क्यारी इसप्रकार से बनाई जाए ताकि पानी देने, नलाई करने, खाद इत्यादि डालने में कोई कठिनाई न आए। 
  • अदरक गर्मियों में लगाई जाने वाली फसल है इसलिए क्यारी में नमी बनाए रखने की आवश्यकता पड़ती है। सिंचाई का प्रबंध आवश्य होना चाहिए।
  • सबसे पहले पिछली फसल के कटते ही खेत की हरो से जुताई कर देनी चाहिए और खेत को 10-12 दिन खुला छोड़ दें। इससे खरपतवार के बीज व पिछली फसल के कीटों द्वारा दिए अंडे जो मिट्टी में होते है तेज धूप लगने से नष्ट हो जाते है। 
  • पहली जुताई के बाद खेत में पानी देकर कलटिवेट्र से दुबारा जुताई करें।
  • गोबर या अन्य जैविक खाद भरपूर मात्रा में उपलब्ध है तो पूरे खेत में खाद डालकर पाटा लगाए ताकि खाद अच्छी तरह मिट्टी में मिल जाए और खेत की मिट्टी भी उल्ट-पुल्ट हो जाए।
  • अगर खाद कम हो तो जितनी उपलब्ध हो उनती खेत में डालें और पाटा लगाने के बाद मेज लगाकर खेत को एकसार कर लें। बाकि खाद बुवाई के समय केवल कंद के आस-पास डालें।
  • अदरक मेढ बनाकर बोई जाती है इसके लिए उचित तैयारी करें। पहले क्यारी में लगभग 2-3 ईंच गहरी नाली बनाएं और क्यारी में से पत्थर, सीसे व प्लास्टिक आदि निकाल लें।
  • नाली की दूरी एक दुसरे से कम से कम 16 ईंच रखें। इससे नलाई-गुड़ाई व खाद-पानी के लिए पर्याप्त जगह रहेगी। पौधे के फैलने पर उनमें हवा व धूप अच्छी मिलेगी तथा कीटनाशकों के छिड़काव में आसानी रहती है।
  • संभव हो सकें तो पूरी क्यारी में अन्यथा केवल नालियों में (जहाँ प्रकंद लगाने है) नीम की खल का चुरा डालें। यह चुरा जैविक कीटनाशक होता है। जो भूमि में लगाए वाली कंदीय फसलों को भूमि के कई प्रकार के कीड़ो व प्रकंद को बिमारियों से बचाता है। बाद में गलने के बाद बेहतर खाद का
    काम करता है। नीम की खल व चुरा बाजार में आसानी से उपलब्द है। लगातार ईस्तेमाल के लिए नीम की जमीन पर पककर पड़ी निम्बोली एकत्र करके धोकर-सुखाकर उसकी खल व नीम का तेल निकलवा सकते है या निम्बोली कूटकर सुखाकर खेत में डाल दें।
  • नीम की खल डालने के बाद नालियों में अच्छी क्वालिटि की जैविक खाद डालें।

 अदरक के बीज की बुवाई
  • इस तरह क्यारी तैयार करने के बाद अदरक के प्रकंद लगाए। कमजोर व रोगी प्रकंदो को निकाल दें।
    केवल तंदुरुस्त प्रकंद ले जिनमें कम से कम दो या तीन आँखे स्पष्ट दिखाई दे रही हो। कंद का वजन 25 से 40 ग्रा0 रखें।
  • नाली से नाली की दूरी लगभग 16 से 20 ईंच रखें प्रकंद से प्रकंद की दूरी 6 से 8 ईंच रख सकते है।
  • ध्यान रखें कि प्रकंद की आँखें उपर की ओर रहें।


प्रकंदो को ढकना या मेढ बनाकर ढकना या मिट्टी चढ़ाना 
  • प्रकंद लगाने के बाद दोनो प्रकंदो के ओर से मिट्टी चढ़ाकर मेढ बना देते है। जिससे प्रकंद के उपर 4 से
    6 ईंच मिट्टी चढ़ जाती है।
  • इसप्रकार से खाद की कम मात्रा उपलब्ध होने पर भी प्रकंद को कुछ समय के लिए भरपूर खाद मिल जाती है और पौधा तंदुरुस्त उगता है। बाकि खाद नलाई-गुड़ाई के समय डालें।




पानी देना
  • नमी वाली भूमि में प्रकंद लगाने के एक-दो दिन पश्चात व सूखी भूमि में प्रकंद लगाते ही पानी दिया जाना चाहिए। अन्यथा प्रकंद सूखने की आशंका रहती है।
  • पानी क्यारी में अच्छी तरह से भर दें। ताकि प्रकंद तक कई दिनों तक नमी बनी रहे और नीम की खल भी नम हो जाए।
  • मौसम के अनूसार नमी बनाए रखने के लिए 5 से 15 दिन के अंतराल पर हल्का पानी लगाते रहना होगा।
  • ध्यान रखें पानी ज्यादा दिनों तक क्यारी में न भरा रहे। इससे प्रकंद गलने से बचेगा।


पलवार डालना
बुवाई की अंतिम क्रिया क्यारी में पलवार डालना है। क्योंकि अदरक को नम व गर्मउमस वाला वातावरण चाहिए होता है। इसके लिए पूरी क्यारी में पलवार डाला जाता है।
  • पलवार देने से बीज में अंकुरण अच्छा होता है।
  • पलवार से खरपतवार के बीजों में अंकुरण नहीं होगा और बीज जमीन में ही गल जाऐंगें जिससे खरपतवार रुकेगा।
  • जमीन में पड़ी सूखी पत्तियाँ आदि गल जाऐंगी जिससे खाद में वद्धि होती है।
  • नमी बनी रहने व तेज धूप नीचे न जाने से जमीन में जिवाणुओं की संख्या बढेगी और जिवाणु नष्ट नहीं होगें।
  • जिवाणु खाद उपयोग करने पर कई फसलों में पलवार बहुत कारगर होती है।
  • पूरी क्यारी में 3-4 ईंच मोटी पत्तियों की या फूंस आदि की पलवार बिझा दें।
  • सड़ा-गला भूसा यदि उपलब्ध हो सकें तो एक महिन परत क्यारी में लगा दें। क्योंकि अदरक की फसल 9 महिने की होती है। यह भूसा नमी बनाए रखने के साथ-साथ गलकर अच्छी खाद भी बन जाएगा।
जारी ……… 
Naresh Lamba